SC का बड़ा फैसला, J&K से Article 370 हटाने का केंद्र का फैसला रहेगा बरकरार
अनुच्छेद 370 को अस्थायी प्रावधान बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। SC ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में केंद्र सरकार द्वारा 5 सितंबर 2019 को लिया गया फैसला सही था और यह बरकरार रहेगा।
अनुच्छेद 370 एक अंतरिम व्यवस्था थी। अनुच्छेद 370 (3) के तहत राष्ट्रपति को यह अधिसूचना जारी करने की शक्ति है कि अनुच्छेद 370 का अस्तित्व समाप्त हो जाता है और जम्मू-कश्मीर संविधान सभा के भंग होने के बाद भी अनुच्छेद 370 अस्तित्व में रहेगा। संविधान सभा की सिफारिश राष्ट्रपति के लिए बाध्यकारी नहीं थी। जम्मू-कश्मीर संविधान सभा का उद्देश्य एक अस्थायी निकाय था।
अनुच्छेद 370 हटने का फायदा
चीफ जस्टिस ने कहा कि राष्ट्रपति के लिए यह जरूरी नहीं था कि वह जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा की सिफारिश के बाद ही 370 पर कोई आदेश जारी करें। अनुच्छेद 370 को बेअसर कर नई व्यवस्था से जम्मू-कश्मीर को बाकी भारत के साथ जोड़ने की प्रक्रिया मजबूत हुई।
जम्मू-कश्मीर में जल्द हो चुनाव
सीजेआई ने कहा है कि नए परिसीमन के आधार पर जम्मू-कश्मीर में जल्द से जल्द चुनाव करवाएं जाएं। इस संबंध में केंद्र सरकार को निर्देश दिया गया है। 30 सितंबर 2024 तक जम्मू कश्मीर में चुनाव हों। अदालत ने ये भी कहा है कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस दिया जाए। सीजेआई ने कहा है कि केंद्र शासित प्रदेश के रूप में लद्दाख के पुनर्गठन को बरकरार रखा गया है क्योंकि अनुच्छेद 3 राज्य के एक हिस्से को केंद्र शासित प्रदेश बनाने की अनुमति देता है।
सुप्रीम कोर्ट ने इन वकीलों की सुनी थीं दलीलें
अनुच्छेद 370 पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कई नामी-गिरामी वकीलों की दलीलें सुनीं। केंद्र की ओर से अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, सीनियर एडवोकेट्स- हरीश साल्वे, राकेश द्विवेदी, वी गिरि और अन्य ने दलीलें पेश कीं। याचिकाकर्ताओं की तरफ से कपिल सिब्बल, गोपाल सुब्रमण्यम, राजीव धवन, जफर शाह, दुष्यंत दवे और अन्य सीनियर एडवोकेट्स ने जिरह की।