
संपूर्ण ब्रह्मांड की उत्पत्ति का मूल कारण शक्ति (Chaitra Navratri 2025) ही हैं जिसे ब्रह्मा विष्णु व शिव तीनों ने मिलकर मां नवदुर्गा के रूप में सृजित किया। इसलिए मां दुर्गा में ब्रह्मा विष्णु एवं शिव तीनों की शक्तियां समाई हुई हैं। जगत की उत्पत्ति पालन एवं लय तीनों व्यवस्थाएं जिस शक्ति के आधीन संपादित होती हैं वही हैं पराम्बा मां भगवती आदिशक्ति।

चैत्र नवरात्र के दौरान देवी मां दुर्गा और उनके नौ रूपों की पूजा की जाती है। वहीं, अष्टमी तिथि पर देवी मां दुर्गा की विशेष पूजा की जाती है। साथ ही अष्टमी का व्रत रखा जाता है। जगत की देवी मां दुर्गा की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है।
चैत्र नवरात्र में मां दुर्गा के इन नौ रूपों की श्रद्धापूर्वक पूजा करने से भक्तों को शक्ति, समृद्धि, सुख और शांति की प्राप्ति होती है। प्रत्येक देवी का अपना विशेष महत्व है और उनकी आराधना से शुभ फल प्राप्त होते हैं।
जिस स्थान पर लोग पूजा स्थल बनाना चाहते हैं, उसे साफ करें और देवी दुर्गा की मूर्ति स्थापित करें, उस पर कलश और नारियल रखें। देवी के सामने देसी घी का दीया जलाएं। देवी को श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करें और मंत्रों का जाप करके मां दुर्गा की मूर्ति का आह्वान करें। हिंदू पवित्र ग्रंथ दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
चैत्र नवरात्रि हिंदू धर्म का बहुत ही पावन पर्व होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार चैत्र नवरात्रि की शुरुआत आज यानी 30 मार्च 2025 से हो रही है। खास बात यह है कि इस बार नवरात्रि पूरे 9 दिन नहीं बल्कि 8 दिन की होगी। इसी दिन से हिंदू नववर्ष की भी शुरुआत होती है, इसलिए इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती है, जिसे कलश स्थापना भी कहते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, सही मुहूर्त में कलश स्थापित करने से मां दुर्गा की कृपा बनी रहती है। घटस्थापना के दिन भक्तजन विधि-विधान से कलश स्थापित करेंगे और नौ दिनों तक मां दुर्गा की पूजा करेंगे।
संपूर्ण ब्रह्मांड की उत्पत्ति का मूल कारण शक्ति ही हैं, जिसे ब्रह्मा, विष्णु व शिव तीनों ने मिलकर मां नवदुर्गा के रूप में सृजित किया। इसलिए मां दुर्गा में ब्रह्मा, विष्णु एवं शिव तीनों की शक्तियां समाई हुई हैं। जगत की उत्पत्ति, पालन एवं लय तीनों व्यवस्थाएं जिस शक्ति के आधीन संपादित होती हैं, वही हैं पराम्बा मां भगवती आदिशक्ति। नवरात्र का माहात्म्य सर्वोपरि इसलिए है कि इसी कालखंड में देवताओं ने दैत्यों से परास्त होकर आद्या शक्ति की प्रार्थना की थी और उनकी पुकार सुनकर देवी मां का आविर्भाव हुआ। उनके प्राकट्य से दैत्यों के संहार करने पर देवी मां की स्तुति देवताओं ने की थी। नवरात्र राक्षस महिषासुर पर देवी मां दुर्गा की विजय का प्रतीक है, जो नकारात्मकता के विनाश और जीवन में सकारात्मकता के पुनरुद्धार का प्रतीक है।देवी मां दुर्गा का हर रूप एक अद्वितीय गुण या शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। उदाहरण के लिए, शैलपुत्री शक्ति और स्थिरता का प्रतिनिधित्व करती हैं। ब्रह्मचारिणी तपस्या का प्रतीक हैं और सिद्धिदात्री परम तृप्ति और ज्ञान प्रदायिनी हैं। आदिशक्ति या आदि पराशक्ति या महादेवी मां दुर्गा को सनातन, निराकार, परब्रह्म, जो कि ब्रह्मांड से भी परे एक सर्वोच्च शक्ति के रूप में माना जाता है।शाक्त संप्रदाय के अनुसार, यह शक्ति मूल रूप में निर्गुण है, परंतु निराकार परमेश्वर जो न स्त्री है न पुरुष, को जब सृष्टि की रचना करनी होती है तो वे आदि पराशक्ति के रूप में उस इच्छा रूप में ब्रह्मांड की रचना, जननी रूप में संसार का पालन और क्रिया रूप में वह पूरे ब्रह्मांड को गति तथा बल प्रदान करते है। नवरात्र मां के अलग-अलग रूप के अविलोकन करने का दिव्य पर्व है। माना जाता है कि नवरात्र में किए गए प्रयास, शुभ-संकल्प बल के सहारे देवी दुर्गा की कृपा से सफल होते हैं। काम, क्रोध, मद, मत्सर, लोभ आदि जितने भी राक्षसी प्रवृतियां हैं, उसका हनन करके विजय का उत्सव मनाते हैं।प्रत्येक व्यक्ति जीवनभर या पूरे वर्षभर में जो भी कार्य करते-करते थक जाते हैं तो इससे मुक्त होने के लिए इन नौ दिनों में शरीर की शुद्धि, मन की शुद्धि और बुद्धि में शुद्धि आ जाए, सत्व शुद्धि हो जाए; इस तरह के शुद्धीकरण करने का, पवित्र होने का पर्व है यह नवरात्र। नवरात्र का उत्सव बुराइयों से दूर रहने का प्रतीक है। यह लोगों को जीवन में उचित एवं पवित्र कार्य करने और सदाचार अपनाने के लिए प्रेरित करता है। इस पर्व पर सकारात्मक दिशा में कार्य करने पर मंथन करना चाहिए, ताकि समाज में सद्भाव के वातावरण का निर्माण हो सके। नवरात्र काल आहार की शुद्धि के साथ मंत्र की उपासना का काल है।संपूर्ण ब्रह्मांड तरंगों से भरा हुआ है। मंत्र के माध्यम से उन तरंगों को, जो शक्ति और सामर्थ्य के रूप में बिखरी हुई है, उन्हें आकर्षित किया जा सकता है। इस काल की तरंगें बहुत सामर्थवान है। उनके साथ एकीकृत होकर हम अप्रत्याशित परिणाम प्राप्त कर सकते हैं। अतः मंत्र वातावरण से सकारात्मक ऊर्जा को अवशोषित कर आपके पास लाते हैं और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करते हैं।