इस नीलकंठ मंदिर में दर्शन मात्र से पूरी होती है मनोकामना, शिवरात्रि पर कर लिया पूजन तो बनेंगे बिगड़े काम!

धर्म-कर्म राज्य

Rishikesh: शिवरात्रि पर शिव मंदिरों में भक्तों की धूम रहती है. ऐसा ही एक मंदिर ऋषिकेश में भी है. मान्यता है कि यहां भगवान भोलेनाथ ने 60 हजार साल तक तपस्या की थी. कहते हैं यहां केवल दर्शन मात्र से मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

हाइलाइट्स

1.नीलकंठ महादेव मंदिर ऋषिकेश में स्थित है. 2.महाशिवरात्रि पर यहां विशेष पूजन-अभिषेक होता है. 3. मंदिर में दर्शन मात्र से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

ऋषिकेश: भारत की पावन भूमि पर बहुत से दिव्य मंदिर हैं. इनमें से एक है उत्तराखंड के ऋषिकेश में स्थित नीलकंठ महादेव मंदिर. यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और हिंदू धर्म में इसका विशेष महत्व है. महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर इस मंदिर का महत्व और अधिक बढ़ जाता है, जब हजारों श्रद्धालु शिवभक्ति में लीन होकर यहां दर्शन के लिए उमड़ पड़ते हैं. प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर यह मंदिर आध्यात्मिकता और भक्ति का केंद्र है, जहां भक्तों को मानसिक और आत्मिक शांति मिलती है.

मंदिर का पौराणिक महत्वलोकल 18 के साथ बातचीत के दौरान पुजारी जगदीश प्रपन्नाचार्य ने कहा कि नीलकंठ महादेव मंदिर ऋषिकेश से करीब 32 किलोमीटर दूर स्थित एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है. इस मंदिर की मान्यता बहुत पुरानी है और इसका संबंध भगवान शिव से जुड़ी एक खास पौराणिक कथा से है. जब समुद्र मंथन हुआ तो उसमें से अनेक चीजें निकलीं, जिनमें एक बहुत ही जहरीला विष कालकूट भी था. इस विष से पूरी सृष्टि के नष्ट होने का खतरा था, इसलिए भगवान शिव ने इसे अपनी हथेली पर लेकर पी लिया.शिवजी ने लगाई थी समाधि!हालांकि, शिवजी ने अपनी शक्ति से इस विष को अपने गले से नीचे नहीं जाने दिया, जिससे उनका कंठ नीला हो गया और उन्हें नीलकंठ महादेव कहा जाने लगा. विष के प्रभाव को शांत करने के लिए वे एक ठंडी और शांत जगह की तलाश में घूमने लगे. इसी दौरान वे मणिकूट पर्वत पहुंचे, जहां उन्हें शीतलता का अनुभव हुआ. मान्यता है कि भगवान शिव ने इस स्थान पर 60,000 वर्ष तक समाधि लगाई थी. इसी कारण इस स्थान को नीलकंठ महादेव मंदिर के रूप में जाना जाता है और यह शिव भक्तों के लिए एक अत्यंत पवित्र स्थल माना जाता है.

मंदिर की भव्यता और प्राकृतिक सौंदर्यनीलकंठ महादेव मंदिर समुद्र तल से लगभग 1,330 मीटर की ऊंचाई पर है. यह मंदिर ऋषिकेश से करीब 32 किलोमीटर की दूरी पर है और चारों ओर से पहाड़ों व घने जंगलों से घिरा हुआ है. मंदिर के पास से ही पवित्र गंगा नदी प्रवाहित होती है, जिससे इस स्थान की पवित्रता और बढ़ जाती है. मंदिर की वास्तुकला अद्भुत है और इसकी दीवारों पर भगवान शिव की जीवन से जुड़ी कथाएं उकेरी गई हैं.यहां आने वाले भक्तों को मंदिर तक पहुंचने के लिए एक कठिन चढ़ाई चढ़नी पड़ती है, लेकिन यह यात्रा भक्तों के लिए एक आध्यात्मिक अनुभव साबित होती है. मंदिर के परिसर में पवित्र जलकुंड भी है, जहां श्रद्धालु स्नान करके अपनी आत्मा को शुद्ध करने की कोशिश करते हैं.

महाशिवरात्रि पर विशेष आयोजनमहाशिवरात्रि के अवसर पर नीलकंठ महादेव मंदिर में भव्य आयोजन किए जाते हैं. इस दिन भगवान शिव का विशेष पूजन-अभिषेक किया जाता है और हजारों श्रद्धालु यहां जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा और अन्य पूजन सामग्री चढ़ाकर अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं. भक्त पूरी रात जागकर भजन-कीर्तन करते हैं और भगवान शिव का ध्यान करते हैं. इस अवसर पर मंदिर को दीपों और फूलों से सजाया जाता है, जिससे इसकी शोभा और भी बढ़ जाती है. मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन यहां दर्शन करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और व्यक्ति को मोक्ष मिलता है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *