

लोकजन एक्सप्रेस देहरादून: उत्तराखंड के श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय ने एक नया नियम जारी किया है और जिसके अनुसार आंतरिक मूल्यांकन परीक्षा में छात्रों को उनकी उपस्थिति के प्रतिशत के बराबर अंक दिए जाएंगे । इस नियम पर कई कॉलेजों के प्राचार्यों ने सवाल उठाए हैं उनका कहना है कि अगर कोई छात्र परीक्षा में कुछ नहीं लिखता तो उसे कैसे अंक दिए जाएंगे।
विवि का नया नियम उपस्थिति के अंक |
प्राचार्यों ने उठाए नियम पर सवाल |
छात्रों की उपस्थिति अनिवार्य करने का नियम |
देहरादून। सेमेस्टर परीक्षा में लगातार त्रुटियों को रोकने में नाकाम श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय का एक नया आदेश समस्त राजकीय, सहायता प्राप्त अशासकीय और स्ववित्त पोषित संस्थानों के लिए परेशानी का सबब बन गया है।विवि के बीते छह मई को एक कार्यवृत्त जारी किया, जिसके तहत विवि की आंतरिक मूल्यांकन परीक्षा में छात्र के उपस्थिति प्रतिशत के बराबर ही पेपर में प्राप्तांक दिए जाएंगे। यानी किसी छात्र की उपस्थिति पूरे सत्र में 80 प्रतिशत रहती है तो उन्हें आंतरिक मूल्यांकन परीक्षा में भी 70 प्रतिशत अंक दिए जाएंगे।अब कालेज प्राचार्य सवाल खड़े कर रहे हैं कि यदि कोई छात्र एक सेमेस्टर सत्र में 75 प्रतिशत उपस्थिति दर्ज करता है और आंतरिक मूल्यांकन परीक्षा में कुछ नहीं लिखता है या पेपर ही नहीं देना है तो ऐसे में छात्र को क्या बिना परीक्षा दिए 75 प्रतिशत अंक दे दिए जाएं। यदि इन नियम के अनुसार आंतरिक मूल्यांकन परीक्षा का संचालन करना है तो फिर परीक्षा आयोजन का औचित्य क्या रह जाएगा।
विवि के नियमानुसार से छात्र को उपस्थिति के बराबर अंक देने हैं। ऐसे में यदि किसी छात्र की सत्र में उपस्थिति केवल 40 प्रतिशत है और आंतरिक मूल्यांकन परीक्षा उसने अच्छी तैयारी के साथ दी जिससे उसके 80 प्रतिशत अंक आते हैं तो ऐसे स्थिति में उस छात्र को 80 अंक देने हैं कि 40 अंक। विवि यह भी स्पष्ट नहीं कर पाया है।विवि के कुलसचिव दिनेश चंद्रा ने उच्च शिक्षा सचिव के साथ शासन स्तरीय बैठक का कार्यवृत्त जारी कर इस बदलाव की जानकारी दी। जब आदेश राजकीय महाविद्यालयों के प्राचार्य तक पहुंचा तो उन्होंने इस नियम पर सवाल खड़े किए कि आखिर यह कैसे लागू किया जाएगा, कुछ प्राचार्य ने विवि प्रशासन से इस बारे में राय मांगी है। विवि से 217 राजकीय महाविद्यालय, सहायता प्राप्त अशासकीय कालेज और स्ववित्तपोषित संस्थान संबद्ध हैं। जिनमें 80 हजार से अधिक छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं।
उधर, श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विवि के कुलसचिव दिनेश चंद्रा ने कहा कि विवि को अभी तक इस बारे में कहीं से भी लिखित शिकायत नहीं मिली है। यह नियम छात्र-छात्राओं के अनिवार्य रूप से कक्षाओं में उपस्थिति की बाध्यता को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है।यह है परीक्षा का पैटर्नसेमेस्टर परीक्षा के तहत एक वर्ष में छह-छह महीने में सम और विषम बाह्य सेमेस्टर परीक्षा और दो आंतरिक परीक्षाएं आयोजित की जाती है। बाह्य सेमेस्टर परीक्षा का एक प्रश्न पत्र 80 अंकों का और आंतरिक परीक्षा 30 अंकों की होती है। बाह्य परीक्षा विवि के परीक्षा कार्यक्रम से संचालित की जाती है और आंतिरक परीक्षा संस्थान स्वयं अपने स्तर पर संचालित करता है। दोनों परीक्षाओं के प्राप्तांक प्रत्येक वर्ष के दोनों सेमेस्टर में जुड़ते हैं।
श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विवि ने आंतरिक मूल्यांकन परीक्षा के अंक उपस्थिति के बराबर देने का नियम दोषपूर्ण है। यदि कोई छात्र केवल 80 प्रतिशत उपस्थिति दर्ज करता है और परीक्षा में कुछ नहीं लिखता तो क्या विवि उसे 100 में से 80 नंबर देगा। यदि आंतरिक परीक्षा के लिए केवल उपस्थिति पास होने का आधार है तो फिर छात्र परीक्षा क्यों देंगे। विवि को इस प्रकार विवेकहीन आदेश जारी करने से पहले इसके नियमों का अध्ययन तो करना चाहिए था। यानी विवि मान रहा है कि आंतरिक मूल्यांकन परीक्षा में संस्थान बिना परीक्षा किए अपनी मर्जी से छात्रों को नंबर देता है। इससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा। – डा. सुनील अग्रवाल, अध्यक्ष निजी कालेज एसोसिएशन


