
लोकजन एक्सप्रेस: उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष बॉबी पंवार ने प्रेस वार्ता कर धामी सरकार, उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPCL) पर भ्रष्टाचार के संरक्षण का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि उनके द्वारा दायर जनहित याचिका (PIL) पक्के दस्तावेजों पर आधारित थी, लेकिन सरकार ने कथित भ्रष्ट अधिकारियों को बचाने की रणनीति के तहत उसे खारिज करवाया।” हालांकि, कोर्ट ने मामले में याचिका खारिज कर याचिकाकर्ता को सक्षम कोर्ट में याचिका देने की छूट दी है।प्रेस वार्ता में बॉबी पंवार ने कहा, “हम न्याय के लिए अदालत पहुंचे थे, लेकिन वहां भी सरकार की कानूनी फौज ने याचिकाकर्ता को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की। याचिका भ्रष्टाचार के खिलाफ थी, लेकिन उसे व्यक्तिगत हितों से जोड़ा गया।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि महाधिवक्ता और सरकारी वकील भ्रष्ट अधिकारियों की ढाल बनकर पेश हुए। बॉबी पंवार ने यह सवाल भी उठाया कि “महाधिवक्ता की राज्य निर्माण में क्या भूमिका रही है?” और यदि सरकार के पास खुद की मजबूत कानूनी टीम है तो बाहरी वकीलों पर 20-20 लाख रुपये प्रति सुनवाई खर्च क्यों किया जा रहा है?कोर्ट ने याचिका खारिज की, बताया गया “पैसा वसूल लिटिगेशन”दूसरी ओर, हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान बॉबी पंवार की याचिका को ‘Public Interest’ की जगह ‘Private Interest Litigation’ की दलील दी गई। अदालत ने याचिका को खारिज कर दिया और सक्षम न्यायालय में याचिका दाखिल करने की छूट दी। शासकीय अधिवक्ता और महाधिवक्ता ने अदालत में यह तर्क दिया कि बॉबी पंवार द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोप पहले ही सतर्कता, कार्मिक और विजिलेंस विभाग की जांच में तथ्यहीन पाए जा चुके हैं।
प्रेस वार्ता में ‘सरकारी धन दुरुपयोग’ के दस्तावेज पेश के बावजूद इसके, बॉबी पंवार ने पत्रकारों के समक्ष शराब और ठहराव से जुड़े खर्चों सहित करोड़ों रुपये के सरकारी धन के कथित दुरुपयोग का विवरण दस्तावेजों के साथ पेश किया। उन्होंने कहा, “हमारी लड़ाई उत्तराखंड और जनहित के लिए है, लेकिन सरकार हमें झूठे मुकदमों में फंसा कर दबाने की कोशिश कर रही है।”पुराना मामला फिर उछला: अंकिता भंडारी केस में CBI जांच का विरोध बॉबी पंवार ने एक और पुराने संवेदनशील मामले को उठाते हुए कहा कि “यह वही महाधिवक्ता हैं जिन्होंने अंकिता भंडारी हत्याकांड में CBI जांच का विरोध किया था। जब एक राज्य की बेटी के लिए न्याय की मांग को ठुकराया जा सकता है, तो आम जनता की उम्मीदें कहां टिकेंगी?”मोर्चा ने चेताया, आंदोलन को मिलेगा व्यापक रूप उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा ने कहा कि “अब लड़ाई शुरू हुई है। जब तक उत्तराखंड से भ्रष्टाचार का खात्मा नहीं होता, हम चुप नहीं बैठेंगे।” सैनिक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष कैलाश देवरानी, राजेंद्र भट्ट, मनोज कोठियाल और प्रमोद काला भी प्रेस वार्ता में मौजूद रहे।ऊर्जा निगम ने आरोपों को बताया निराधारऊर्जा निगम प्रबंधन ने हाईकोर्ट में बॉबी पंवार द्वारा दायर याचिका में लगाए गए आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए बेबुनियाद बताया है।प्रबंधन की ओर से स्पष्ट किया गया कि याचिका में शासन का पक्ष रखने के लिए केवल शासकीय अधिवक्ताओं की ही नियुक्ति की गई थी। उच्च न्यायालय में सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल और चीफ स्टैंडिंग काउंसिल ही उपस्थित हुए।प्रश्नगत मामले में नामित अधिवक्ता नैनीताल के ही हैं और उनकी उपस्थिति पूरी तरह से नियमानुसार रही। निगम ने यह भी स्पष्ट किया कि ऊर्जा निगम की ओर से न तो कोई अलग अधिवक्ता नियुक्त किया गया और न ही किसी बाहरी कॉरपोरेट अधिवक्ता को लाया गया। शासकीय प्रवक्ता ने आरोपों को तथ्यहीन, आधारहीन और सरकार की छवि खराब करने का प्रयास बताया है।


