
आज पंडित ललित मोहन शर्मा परिसर में हिंदी विभाग द्वारा उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद के जन्म दिवस के अवसर पर प्रेमचंद जयंती के कार्यक्रम का सफल आयोजन किया गया ।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर मुक्तिनाथ यादव ने प्रेमचंद की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए प्रेमचंद के उपन्यासों और कहानियों का मानव जीवन पर प्रभाव और उनके जीवन दृष्टि पर प्रकाश डाला। इसी कार्यक्रम में हिंदी विभाग के प्रोफेसर अधीर कुमार ने मुंशी प्रेमचंद के बारे में बताते हुए कहा कि कोई भी साहित्यकार अपने समय का अभिभावक होता है ।प्रेमचंद जी जिस समय में लिख रहे थे तब से आज तक भारत केवल विकासशील देश हो पाया विकसित नहीं। यदि उनकी दृष्टि पर सम्यक रूप से कार्य किया जाए तो निश्चित ही भारत विकसित देश की श्रेणी में गिना जाएगा साहित्य का काम मनोरंजन करते हुए चेतना का परिष्कार करना है ,जो कि प्रेमचंद के लेखन में दृष्टिगोचर होता है। कार्यक्रम में उपस्थित संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर पूनम पाठक ने प्रेमचंद के जीवन पर अपना दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हुए कहा कि बचपन से प्रेमचंद की कहानी पढ़ते और सुनते हुए उनकी कहानियों की छवि मस्तिष्क पर कुछ इस प्रकार बनती है जैसे चलचित्र की बन जाती है। कार्यक्रम की प्रशंसा करते हुए प्रोफेसर पाठक ने कहा कि भाषा संबंधी विभागों के लिए एक सामूहिक मंच अनिवार्य होना ही चाहिए। इसी कार्यक्रम में प्राची सेमवाल, आरती सिंह, श्वेता पटवाल, उद्धव भट्ट , शिवानी सहित हिंदी, संस्कृत, अंग्रेजी, अर्थशास्त्र विभागों से अन्य शोध छात्राओं द्वारा भी अपने-अपने विचार प्रकट किए गए।
जून 2025 यूजीसी नेट परीक्षा में हिंदी विभाग की शोध छात्रा एकता मौर्य जेआरएफ के लिए चयनित हुई हैं । एकता मौर्य प्रोफेसर मुक्तिनाथ यादव के शोध निर्देशन में शोधार्थी हैं। इस उपलब्धि पर विभागाध्यक्ष ने अत्यंत हर्ष व्यक्त किया एवं संपूर्ण विभाग के लिए गौरवान्वित महसूस करने का क्षण बताया। एकता के लिए उज्जवल भविष्य हेतु शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए उन्होंने कहा कि यह संपूर्ण विभाग तथा परिसर की उपलब्धि है ।कार्यक्रम में ही शोधार्थी को पुष्पगुच्छ देकर सम्मानित भी किया गया ।



