सावन के महीने में भगवान शिव की महिमा का बहुत महत्व है। यह महीना भगवान शिव को समर्पित है और इस दौरान उनकी पूजा-अर्चना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। सावन में शिवजी को जल चढ़ाने, उपवास करने, और मंत्रों का जाप करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
सावन में भगवान शिव की महिमा के कुछ मुख्य पहलू:
- भगवान शिव का प्रिय महीना:सावन को भगवान शिव का सबसे प्रिय महीना माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस महीने में भगवान शिव पृथ्वी पर आते हैं और अपने भक्तों पर विशेष कृपा करते हैं।
- समुद्र मंथन:सावन के महीने में ही समुद्र मंथन हुआ था, जिसमें से हलाहल विष निकला था। भगवान शिव ने इस विष को ग्रहण किया था, जिससे उनकी देह का तापमान बढ़ गया था। विष की गर्मी को शांत करने के लिए देवताओं ने उन्हें जल अर्पित किया था। इसलिए, सावन में शिवलिंग पर जल चढ़ाने की परंपरा है।
- देवी पार्वती की तपस्या:सावन के महीने में ही देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया था।
- प्रकृति का संतुलन:सावन का महीना वर्षा ऋतु का होता है, जो प्रकृति के पुनर्जीवन का प्रतीक है। भगवान शिव को प्रकृति का नियंत्रक माना जाता है, और वर्षा को उनका आशीर्वाद माना जाता है।
- आध्यात्मिक महत्व:सावन का महीना आध्यात्मिक दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है। इस महीने में शिव पूजा, उपवास, और ध्यान से जीवन में शांति, सुख, और समृद्धि आती है।
सावन में क्या करें:
- शिवलिंग पर जल चढ़ाएं, खासकर सोमवार को।
- उपवास करें।
- भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें, जैसे “ॐ नमः शिवाय”।
- शिव मंदिरों में दर्शन करें।
- धार्मिक ग्रंथों का पाठ करें, जैसे शिव पुराण।
- दान-पुण्य करें।
सावन में क्या न करें:
- मांसाहार और शराब का सेवन न करें।
- क्रोध, ईर्ष्या, और द्वेष जैसी नकारात्मक भावनाओं से बचें।
- झूठ न बोलें।
- किसी को अपशब्द न कहें।
- पशु-पक्षियों को सताएं नहीं।
सावन के महीने में भगवान शिव की आराधना करने से भक्तों को सुख, शांति, समृद्धि, और मोक्ष की प्राप्ति होती है।


