हे न ब गढ़वाल विश्वविद्यालय के टिहरी परिसर में बौद्धिक संपदा अधिकारों पर एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला हुआ।*हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय (केंद्रीय विश्वविद्यालय), स्वामी राम तीर्थ परिसर, बादशाहीथौल, टिहरी के शिक्षा विभाग द्वारा 29 अगस्त 2025 को “बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR): शिक्षकों और शिक्षाविदों में जागरूकता, चुनौतियाँ और समाधान” विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसे उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (यूकॉस्ट) द्वारा अनुदानित किया गया। कार्यशाला के मुख्य अतिथि के रूप में टिहरी के विधायक श्री किशोर उपाध्याय कहा कि इसे समय की मांग बताते हुए कहा कि शिक्षक और शिक्षाविद इस विषय में जागरूक होकर विद्यार्थियों को नवाचार की दिशा में प्रेरित कर सकते हैं। प्रो. ए.ए. बौराई निदेशक, एसआरटी परिसर ने कहा कि IPR का ज्ञान हमारे जीवन में आवश्यक है, इससे विश्वविद्यालय की समृद्धि बढ़ती है प्रो. सुनीता गोदियाल डीन एवं विभागाध्यक्ष, शिक्षा संकाय कहा कि यदि हम IPR को मध्यनजर रखते हुए अपना शोधकार्य करें तो निश्चित तौर पर हमारी शोधकार्य की गुणवत्ता बढ़ेगी। कार्यशाला के मुख्य वक्ता डॉ. ममता राणा ने कहा कि बौद्धिक संपदा अधिकार में पेटेंट, कॉपीराइट, ट्रेडमार्क और अन्य अधिकार विशेष महत्व रखते हैं, उन्होंने स्पष्ट किया कि पेटेंट वैज्ञानिक अनुसंधान और आविष्कारों की सुरक्षा करता है, डा हिमांशु गोयल ने कहा कि कॉपीराइट साहित्य, संगीत, कला और शैक्षणिक लेखन जैसे रचनात्मक कार्यों की मौलिकता को संरक्षित करता है। डा सौरभ शर्मा ने बताया कि ट्रेडमार्क किसी संस्था, उत्पाद या सेवा की विशिष्ट पहचान को सुरक्षित करता है और उपभोक्ताओं में विश्वास स्थापित करता है, साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इन सभी अधिकारों की जानकारी शिक्षकों और विद्यार्थियों दोनों के लिए आवश्यक है ताकि ज्ञान और नवाचार को उचित संरक्षण मिल सके। मंच संचालन डा सुमन लता ने किया। कार्यशाला में संयोजक डॉ. मनोज प्रसाद नौटियाल तथा सह-संयोजक डॉ. हेमराज, प्रो आर सी रमोला, प्रो डी एस कैंतुरा, प्रो जे डी एस नेगी, प्रो के एस रावत, डा नीरज जोशी, डा देवम, डा अखिलेश गौतम, डा अरविंद कुमार आदि उपस्थित रहे।


