हरकी पैड़ी पर सूखी गंगा, आचमन के लिए भी जल नहीं; हो रही धन की खोज

News Desk
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हरिद्वार में हरकी पैड़ी पर गंगनहर की मरम्मत के चलते गंगाजल उपलब्ध नहीं है जिससे श्रद्धालु निराश हैं। दशहरे से दीपावली तक नहर बंद रहने से स्नान और आचमन में बाधा आ रही है। सिंचाई विभाग के अनुसार आरती के समय आंशिक जलधारा छोड़ी जा रही है। वहीं श्रमिक परिवार सूखे नहर में सिक्के और जेवर ढूंढकर अपनी जीविका चला रहे हैं।

  1. गंगा नहर मरम्मत के कारण जल का अभाव
  2. हरिद्वार में श्रद्धालुओं को निराशा
  3. श्रमिकों के लिए सिक्के खोजने का अवसर

हरिद्वार। सालाना मरम्मत व सफाई के लिए दशहरे की रात से बंद की गई उत्तरी खंड गंगनहर के कारण हरिद्वार में हरकी पैड़ी पर आचमन तक के लिए जल नहीं है। शुक्रवार सुबह स्नान के लिए हरकी पैड़ी पहुंचे श्रद्धालुओं को निराश वापस लौटना पड़ा। हालांकि, शाम को गंगा आरती के समय आंशिक रूप से जलधारा छोड़ी गई, लेकिन वह भी स्नान के लिए पर्याप्त नहीं थी।

श्रद्धालु गंगा स्नान की आस लगाए आरती के समय घाट पहुंचे, मगर जल धारा इतनी कम थी कि स्नान करना संभव नहीं हो सका। हर साल गंगनहर की मरम्मत व सफाई के लिए दशहरा से लेकर दीपावली के मध्य जल प्रवाह रोक दिया जाता है। इस अवधि में उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग की ओर से घाटों की मरम्मत, सीवेज व्यवस्था और अन्य कार्य किए जाते हैं।

इस बार दो अक्टूबर की रात से 19 अक्टूबर की रात तक गंगनहर लगभग जलविहीन रहेगी। उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता विकास त्यागी ने बताया कि गंगनहर की वार्षिक बंदी के चलते फिलहाल जल का प्रवाह रोका गया है। हालांकि, हरकी पैड़ी के लिए जल छोड़ा जा रहा है। खासकर आरती के समय इसका विशेष ध्यान रखा जा रहा है।

सिक्कों की खोज

गंगनहर के सूखने से जहां श्रद्धालुओं को आस्थापूर्ण स्नान का अवसर नहीं मिल पाया, वहीं श्रमिक परिवारों के लिए यह कमाई का अवसर बन गया है। कई लोग छलनी व जाल लेकर गंगा की रेत में सिक्के और जेवर खोजते नजर आए। गंगा में अर्पित चढ़ावे को ये परिवार मेहनत कर ढूंढते हैं और यही उनकी रोजी-रोटी का जरिया बनता है।

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