उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की स्नातक स्तरीय परीक्षा पेपर लीक मामले में न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी की एकल पीठ के समक्ष अभ्यर्थियों ने आयोग की खामियों को उजागर किया। 13 अभ्यर्थियों ने परीक्षा में गड़बड़ियों के बारे में बताया और पेपर लीक होने की बात कही। छात्रों ने सीबीआई जांच और स्नातक स्तरीय परीक्षा को रद्द करने की मांग की।

- 21 सितंबर को आयोजित स्नातक स्तरीय परीक्षा पेपरलीक प्रकरण की सुनवाई
- 13 अभ्यर्थियों ने परीक्षा में तमाम खामियों को पीठ के समक्ष रखा।
देहरादून। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के 21 सितंबर को आयोजित स्नातक स्तरीय परीक्षा पेपरलीक प्रकरण की सुनवाई हुई। सरकार की ओर से गठित न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी एकल पीठ के समक्ष परीक्षा में शामिल अभ्यर्थियों ने आयोग की खामियों की जमकर धज्जियां उड़ाई। 13 अभ्यर्थियों ने परीक्षा में तमाम खामियों को पीठ के समक्ष रखा।
कहा पेपर लीक तो हो ही रहे हैं आयोग की कोई भी परीक्षा ऐसी नही हैं जिसके 100 प्रश्न सही हों।परीक्षा समाप्त होने के दो से तीन दिन बाद आयोग अपने बनाए 4 से 10 प्रश्नों को हटा देता हैं। फिर कैसे आयोग की विश्सनीयता पर विश्वास किया जाए। पेपर बनाने वाले विशेषज्ञ के नामों को सार्वजनिक किया जाना चाहिए। साथ ही सीबीआइ जांच की भी छात्रों ने मांग उठाई।
यह भी मांग की गई कि स्नातक स्तरीय परीक्षा रद्द होनी चाहिए। बताया कि आयोग क्यों जन सुनवाई नहीं करता है। प्रदेशभर से आयोग की परीक्षा देने वाले अभ्यर्थियों ने कहा कि आगे की क्या गारंटी हैं कि पेपर लीक नहीं होंगे। न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी ने कहा की छात्रों की भावनाओं के अनुसार निर्णय लिया जाएगा।


