प्राकृतिक आपदाएं अचानक आती हैं, जो बड़े नुकसान का कारण बनती हैं। इसमें प्राकृतिक चीजों के नुकसान के साथ ही जान-माल का भी नुकसान होता है।
भूकंप के झटकों से जब-जब धरती हिलती है, तब जानमाल की भारी हानि होती है। लोगों की जान जाती है, कई लोग घायल होते हैं। भारी तबाही को आंकड़ों में दर्ज किया जाता है। आज आपको बताते है पिछले 23 सालों में आए उन भूकंप के बारे में, जिन्हें 21वीं सदी यानी साल 2000 के बाद के सबसे विनाशकारी भूकंप में गिना जाता हैं, तो आईये जानते हैं
हैती: 316000 लोगों की मौत
अगर 21वीं शताब्दी के सबसे विनाशकारी भूकंप की बात करें तो साल 2010 में कैरीबियन द्वीप हैती में सुनामी के साथ आया भूकंप पिछले 23 सालों की सबसे विनाशकारी आपदा है। इस भूकंप ने 316000 लोगों की जान ली थी और लाखों लोग बेघर हो गए थे। रेक्टर पैमाने पर 7 की तीव्रता के इस भूकंप के चलते 8000 मिलियन डॉलर्स के नुकसान का अनुमान लगाया गया था।
इंडोनेशिया: 227899 लोगों की मौत
साल 2004 में इंडोनेशिया में सुनामी और भूकंप 21वीं सदी के सबसे खतरनाक भूंकप में से एक था। दिसंबर 2004 में सुनामी के साथ आए भूकंप ने 227899 लोगों की जान ले ली थी। रेक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 9.1 थी। इस आपदा में 10000 मिलियन डॉलर्स का नुकसान हुआ था।
चीन: 87,652 लोगों की मौत
साल 2008 में चीन में जबरदस्त सुनामी और भूकंप आया। इसमें आधिकारिक तौर पर 87,652 लोगों की जान गई थी। यूरो न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक इस तबाही में करीब 86 हजार मिलियन डॉलर्स का नुकसान हुआ था। इस आपदा के बाद चीन की अर्थव्यवस्था बुरी तरह टूट गई थी।
पाकिस्तान: 76,213 लोगों की मौत
साल 2005 में भारत के पड़ोसी पाकिस्तान में ऐसी ही एक आपदा आई थी। 7.6 तीव्रता के भूकंप ने ने 76,213 लोगों की जान ले ली थी। 6680 मिलियन डॉलर्स का नुकसान हुआ था। लाखों लोग सड़क पर आ गए थे।
तुर्की-सीरिया: 56,697 लोगों की मौत
इसी साल फरवरी में तुर्की और सीरिया में आया विनाशकारी भूकंप, 21वीं सदी के सबसे खतरनाक भूकंप में से एक है। इस भूकंप के चलते दोनों देशों में 56,697 लोगों की जान चली गई थी। दोनों देशों को करीब 87,000 मिलियन डॉलर्स की चपत लगी थी।
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गुजरात: 20,005 लोगों की मौत
अगर भारत की बात करें तो साल 2001 में गुजरात में आया भूकंप, पिछले 23 सालों की सबसे विनाशकारी आपदा में गिना जाता है। रेक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 7.6 थी और इसने आधिकारिक तौर पर 20,005 लोगों की जान ले ली थी। 2623 मिलियन डॉलर्स का नुकसान भी हुआ था।