गैरसैंण फिर हुआ गैर…यहां विधायकों को लगती है ठंड.!
उत्तराखंड पहाड़ी राज्य है, लेकिन पहाड़ का प्रतिनिधित्व करने वाले जनप्रतिनिधि ही पहाड़ को गैर समझने लगे है। ये कहना है उत्तराखंड विधानसभा के विधायकों का जिन्हे पहाड़ नही चढ़ना है।
देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा ने विशेष सत्र के बाद अब बजट सत्र की तैयारी शुरू कर दी है। लेकिन इस बार फिर बजट सत्र में राज्य की मूल अवधारणा के विपरीत कार्य हो रहा है। सरकार ने जब गैरसैंण में बजट सत्र आहुत करने का निर्णय लिया तो फिर सरकार के पास विधायको ने सत्र को गैरसैंण के बजाय देहरादून में आहुत करने की मांग की है। जो गैरसैंण को फिर गैर बना रही है।
फिर गैर हुआ गैरसैंण
उत्तराखंड पहाड़ी राज्य है, लेकिन पहाड़ का प्रतिनिधित्व करने वाले जनप्रतिनिधि ही पहाड़ को गैर समझने लगे है। ये कहना है उत्तराखंड विधानसभा के विधायकों का जिन्हे पहाड़ नही चढ़ना है। उत्तराखंड विधानसभा का बजट जल्द होने जा रहा है। सत्र से पहले ही सता और विपक्ष दोनों ही दलों के विधायको ने सरकार को लिखित पत्र भेज गैरसैंण ना जाने की इच्छा जाहिर की ओर बजट सत्र को देहरादून में आहुत करने की मांग करी है।
क्या विधायकों को लगती है ठंड?
संसदीय एवं वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा की उनके पास विधायको के हस्ताक्षर वाला पत्र पहुंचा है। जिसमे सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों दलों के विधायक सम्मलित है। इस पत्र में बजट सत्र को देहरादून में आहुत करने की मांग की गई है। जिसके पीछे विधायको ने कई कारण गिनाए और उन कारणों में वहां पर ठंड का होना भी बड़ा कारण है।
सत्र को लेकर हो रही सियासत?
गैरसैंण में सत्र को लेकर हो रही सियासत पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा की सरकार की इच्छा है।
वह जहां चाहे वहां सत्र कराए। लेकिन अगर कुछ कारण विपरीत है तो फिर निर्णय सरकार को करना है। जबकि कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह ने कहा की सरकार को अपनी इच्छा शक्ति बढ़ानी चाहिए। जिस गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया है वहां सत्र होना ही चाहिए।
विधानसभा सत्र गैरसैंण में हो इसके लिए पूर्व में सरकार संकल्प भी ले चुकी है। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो पा रहा है। क्योंकि सरकार के पास स्वयं भाजपा और कांग्रेस और निर्दलीय विधायको का हस्ताक्षर किया पत्र प्राप्त हुआ है। जिसमे उन्होंने देहरादून में भी सत्र आहुत करने की मांग की है।