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राष्ट्रीय शिक्षा नीति का सबसे अच्छा क्रियान्वयन करने वाला विश्ववविद्यालय प्रशासन और कुलपति कथित बुद्धि जीवी सोच के लोग चला रहें हैं विश्वविद्यालय

एक बार राष्ट्रीय शिक्षा नीति का अध्ययन कर लिया होता तो शायद ये आदेश न आया होता। इनकी योग्यता का ये प्रदर्शन बताने के काफ़ी है कि अन्दर क्या क्या चल रहा हैं
संस्कृत विश्वविद्यालय में संस्कृत का छात्र दो विषयों से आचार्य नहीं कर सकता है किसी को भी प्रारंभ में स्थाई प्रवेश नहीं दिया जाएगा ,विश्वविद्यालय का कोई भी विभाग प्रवेश देने के लिए स्वतंत्र नहीं होगा कथित प्रवेश समिति की सहमति के बाद ही स्थाई प्रवेश मिलेगा , प्रवेश समिति करेगी क्या कुल सचिव और कुलपति को पूछ कर किसी छात्र को एडमिशन देना है किसको नहीं ,जो छात्र विश्वविद्यालय में चलने वाले भ्रष्टाचारों के खिलाफ आवाज उठाते हैं, उन्हें प्रवेश न देने के लिए यह कार्य किया जा रहा है प्रवेश समिति को जिन विषयों पर विचार करना चाहिए उसे पर विचार होता ही नहीं है विश्वविद्यालय के प्रचार प्रसार के नाम पर पैसा इधर से उधर किया जाता है ,वर्तमान में सभी विश्वविद्यालय में प्रवेश आरंभ हो गया है और सभी विश्वविद्यालय अपने स्तर पर विज्ञापन और अन्य सोशल मीडिया माध्यम से विश्वविद्यालय में छात्रों की संख्या बढ़ाने के लिए कार्य कर रहे हैं और संस्कृत विश्वविद्यालय का प्रशासन भविष्य में कैसे अपने लोगों को विश्वविद्यालय में फिट किया जाए इस कार्य में लगा हुआ है परंपरागत छात्र को सड़क पर आने की आवश्यकता है और विश्वविद्यालय प्रशासन की तानाशाही को खत्म करना ही होगा
#संस्कृत विश्वविद्यालय बचाओ अभियान

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