उत्तराखंड निकाय चुनाव में टिकट न मिलने से नाराज कार्यकर्ताओं ने बागी तेवर दिखाए हैं। 25 से अधिक कार्यकर्ताओं ने पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी होने के बावजूद नामांकन दाखिल कर दिया है। इससे भाजपा नेतृत्व की बेचैनी बढ़ गई है और पार्टी डैमेज कंट्रोल में जुट गई है। विधायकों मंत्रियों सांसदों और वरिष्ठ नेताओं को बागियों को मनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
- विभिन्न निकायों में अधिकृत प्रत्याशियों के बावजूद 25 से ज्यादा कार्यकर्ताओं ने कराए हैं नामांकन
- विधायकों, मंत्रियों व सांसदों के साथ ही वरिष्ठ नेताओं को सौंपी गई डैमेज कंट्रोल की जिम्मेदारी
देहरादून। निकाय चुनाव में टिकट न मिलने से नाराज कार्यकर्ताओं के बागी तेवरों ने भाजपा नेतृत्व की बेचैनी बढ़ा दी है। भाजपा के ऐसे कार्यकर्ताओं की संख्या 25 से अधिक है, जिन्होंने निकाय प्रमुख पदों पर पार्टी का अधिकृत प्रत्याशी होने के बावजूद नामांकन दाखिल कराया है। इसे देखते हुए पार्टी अब डैमेज कंट्रोल में जुट गई है।
विधायकों, मंत्रियों, सांसदों के साथ ही पार्टी जिलाध्यक्षों समेत वरिष्ठ नेताओं को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है। यदि कोई कार्यकर्ता नहीं माना तो उसके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
प्रदेश में वर्तमान में 100 नगर निकायों में चुनाव हो रहे हैं, जिनमें से 93 में भाजपा चुनाव लड़ रही है। इन सभी में निकाय प्रमुख और पार्षद-सभासद पदों पर पार्टी ने प्रत्याशी उतारे हैं। बावजूद इसके तमाम निकायों में पार्टी को बागी तेवरों से भी जूझना पड़ रहा है।
इन निकायों में निकाय प्रमुख पदों पर 25 से ज्यादा कार्यकर्ताओं ने पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी होने के बावजूद नामांकन पत्र जमा कराए हैं। ऐसी ही स्थिति कुछ निकायों में पार्षद-सभासद पदों पर भी है। इनमें से कई कार्यकर्ता वे हैं, जिनके टिकट के दावेदारों के पैनल में नाम थे, लेकिन उनकी आस पूरी नहीं हो पाई। माना जा रहा है कि इसके चलते नाराज होकर इन्होंने ताल ठोकी है।
LOKJAN EXPRESS
भाजपा को अनुशासित पार्टी माना जाता है, ऐसे में कार्यकर्ताओं के बागी तेवर से प्रदेश भाजपा नेतृत्व में बेचैनी स्वाभाविक है। पहले तो पार्टी यह मानकर चलती रही कि टिकट न मिलने से नाराजगी क्षणिक हो सकती है और इसके चलते आवेश में कार्यकर्ताओं ने पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों के विरुद्ध नामांकन कराया होगा।अब जबकि दो जनवरी को नाम वापसी की तिथि है और इस बीच बगावती तेवर अपनाने वालों से कोई संकेत नहीं मिले तो पार्टी डैमेज कंट्रोल में जुट गई है।
सभी जिलाध्यक्षों और वरिष्ठ नेताओं को बगावती तेवर अपनाने वालों से बातचीत कर उन्हें मनाने के लिए कहा गया है। साथ ही अब विधायकों, मंत्रियों व सांसदों और वरिष्ठ नेताओं को मोर्चे पर लगा दिया गया है। प्रांतीय नेता भी इस कार्य में जुट गए हैं। प्रयास यह है कि सभी बागियों को मनाकर उन्हें दो जनवरी को नाम वापसी के लिए राजी कर लिया जाए। देखने वाली बात होगी कि पार्टी इसमें कितना सफल हो पाती है।