भगवान शिव के इस मंदिर में मात्र 40 हजार में होती है जोड़ों की शादी, लेकिन महीनों पहले करवानी पड़ती है बुकिंग

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त्रियुगीनारायण मंदिर, केदारनाथ के मंदिर की स्थापत्य शैली से मिलता-जुलता है और इसलिए भक्तों को बहुत आकर्षित करता है। वर्तमान मंदिर को अखंड धुनी मंदिर भी कहा जाता है । ऐसा माना जाता है कि इसका निर्माण आदि शंकराचार्य ने कराया था । आदि शंकराचार्य को उत्तराखंड क्षेत्र में कई मंदिरों के निर्माण का श्रेय दिया जाता है।

Tiyuginarayan Temple Marriage Uttarakhand: उत्तराखंड के रुद्रप्रयाद में स्थित त्रियुगीनारायण मंदिर डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए पॉपलुर हो चुका है, बता दें, यहां शिव और पार्वती का भी विवाह हुआ था। विष्णु को समर्पित ये मंदिर शिव-पार्वती के विवाह के लिए ज्यादा फेमस है।

वैसे तो भगवान शिव के मंदिर देशभर में अनगिनत है, लेकिन कुछ ऐसे भी हैं, जिनकी अपनी अलग ही मान्यता है। बता दें, उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में त्रिजुगीनारायण (त्रियुगीनारायण) मंदिर स्थित है, जहां पूरे साल देश-विदेश से कपल शादी करने के लिए आते हैं। वैसे तो मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है, लेकिन इस जगह को शिव और पार्वती के विवाह स्थल के रूप में जाना जाता है। चलिए आपको बताते हैं, इस जगह पर शादी की शुरुआत कब हुई और कितने पैसे यहां शादी के लिए खर्च होते हैं।

उत्तराखंड सरकार ने साल 2018 में त्रियुगीनारायण मंदिर को डेस्टिनेशन वेडिंग स्थल के रूप में शुरू किया था। इसके पीछे केवल एक ही उद्देश्य रहा था, यहां दूर-दूर से लोग मंदिर में शादी करने के लिए जरूर आएं। इस तरह से यहां रह रहे लोग को रोजगार भी मिलता है और क्षेत्र का पर्यटन बढ़ावा मिलता है। डेस्टिनेशन वेडिंग पॉइंट की घोषणा के बाद से यहां कई नामी हस्तियां भी शादी और भगवान का आशीर्वाद लेने के लिए आती हैं। बता दें, इस जगह पर शादी के लिए मार्च 2025 तक की बुकिंग मिल चुकी है।

त्रियुगीनारायण मंदिर के पुजारी का कहना है कि मंदिर में साल भर देश-विदेश से लोग यहां शादी करने के लिए आते हैं। मंदिर में शादी करने के लिए 1100 रुपए से रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ता है। इसके लिए जिन जोड़ों को विवाह करवाना है, उनके माता-पिता का सहमत होना जरूरी है। इसके साथ ही दूल्हा-दुल्हन का आधार कार्ड और फोन नंबर भी मंदिर समिति के पास रजिस्टर्ड करवाना पड़ता है। मंदिर में शादी के लिए निश्चित तिथि तय करके जोड़ों को समिति द्वारा बता दी जाती हैं, इसके बाद ही यहां शादियां होती हैं।
पुरोहित समाज के अध्यक्ष का कहना है कि मुहूर्त को देखकर ही मंदिर में शादी समय तय होता है। लेकिन मंदिर में विजयदशमी और महाशिवरात्रि के दिन शादी के लिए कई जोड़े यहां आते हैं। साथ ही बताते हैं, मंदिर में अगर किसी भी कपल को शादी करनी है, तो उसे मंदिर के पास ही पुरोहित समाज के ऑफिस में रजिस्ट्रेशन कराना होगा। साल भर मंदिर में करीबन 200 शादियां होती है।

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