तिब्बत में आए 7.1 मैग्नीट्यूट के भूकंप ने बढ़ाई उत्‍तराखंड की चिंता, यहां पढ़ें विज्ञानियों ने क्‍या कहा?

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Tibet Earthquake तिब्बत में आए 7.1 तीव्रता के भूकंप ने हिमालय क्षेत्र में भूकंपों के पैटर्न पर चिंता जताई है। वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के अध्ययन के अनुसार इंडो-त्सांगपो जोन में हर 10 साल में मध्यम से बड़े स्तर के भूकंप आ रहे हैं। संस्थान के वरिष्ठ विज्ञानी नरेश कुमार के अनुसार 1975 से अब तक इस क्षेत्र में सात बड़े भूकंप रिकॉर्ड किए गए हैं।

  1. 2500 किलोमीटर के दायरे में 10 साल में आ रहे बड़े भूकंप
  2. वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के विज्ञानियों के अध्ययन में स्थिति स्पष्ट
  3. पूरे जोन में भूकंपरोधी निर्माण को अनिवार्य कर जान-माल की क्षति को कम किया जा सकता है

देहरादून। Tibet Earthquake: तिब्बत में आए 7.1 मैग्नीट्यूट के भूकंप ने एक बार फिर भूकंप संवेदनशील क्षेत्रों की चिंता और चिंतन की गंभीरता को बढ़ा दिया है।

भूकंप को रोका नहीं जा सकता है और न ही इसकी तीव्रता और पूर्वानुमान की दिशा में ठोस रूप से कुछ बताया जा सकता है। हालांकि, देश-विदेश के विज्ञानी भूकंप और उसके पैटर्न को लेकर निरंतर अध्ययन में जुटे हैं।

वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान ने मंगलवार को तिब्बत में आए भूकंप और हिमालय के क्षेत्रों में पूर्व में आए भूकंपों के अध्ययन के बाद एक पैटर्न निकाला है। जो यह बताता है कि मध्यम से मेजर (बड़े) स्तर तक के भूकंप हर 10 साल के अंतराल में आ रहे हैं।

इंडो-त्सांगपो जोन में आ रहे 10 साल के अंतराल वाले भूकंप

वाडिया संस्थान के वरिष्ठ विज्ञानी नरेश कुमार के अनुसार 10 साल के अंतराल वाले भूकंप इंडो-त्सांगपो जोन में आ रहे हैं। तिब्बत का क्षेत्र भी इसी जोन का भाग है।

उन्होंने बताया कि यह क्षेत्र करीब 2500 किलोमीटर लंबा और करीब 150 किलोमीटर तक चौड़ा है। इस भाग में वर्ष 1975 से लेकर अब तक सात बड़े भूकंप रिकार्ड किए गए हैं। इनमें से उत्तराखंड में दो बड़े भूकंप आए हैं।एक तरह से कहें तो यह बेहद बड़ा भूभाग है। इतने बड़े क्षेत्र में भूकंप का एक समान पैटर्न चिंता बढ़ाने वाला है। फिलहाल यह कोई नहीं बता सकता कि यह पैटर्न किस क्षेत्र में नजर आएगा। लेकिन, समूचे जोन में भूकंपरोधी निर्माण को अनिवार्य कर जान-माल की क्षति को कम किया जा सकता है।

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