Baba Barfani in Uttarakhand उत्तराखंड के नीति गांव में स्थित टिम्मरसैंण गुफा में बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए जल्द ही यात्रा शुरू हो सकती है। जिला प्रशासन ने स्थानीय निवासियों से होम स्टे और यात्रा व्यवस्थाओं पर चर्चा की है। अगर शासन से हरी झंडी मिलती है तो फरवरी के आखिरी हफ्ते से अप्रैल तक बाबा बर्फानी की यात्रा की जा सकती है।

गोपेश्वर। Baba Barfani in Uttarakhand: भारत चीन सीमा से लगे अंतिम गांव नीति के टिम्मरसैंण गुफा में बाबा बफार्नी आकार ले चुके हैं। इस बार जिला प्रशासन बाबा बफार्नी की यात्रा कराने की मंशा जता चुका है।
इसके लिए स्थानीय निवासियों से होम स्टे के साथ यात्रा व्यवस्थाओं को लेकर जिला प्रशासन चर्चा कर चुका है। अगर शासन से हरी झंडी मिली तो फरवरी माह के अंतिम सप्ताह से बाबा बफार्नी की यात्रा शुरु हो सकती है।
जोशीमठ से 82 किमी दूर नीति से डेढ़ किमी पैदल चलकर टिम्मरसैंण गुफा है। हालांकि इस गुफा में वर्ष भर शिव विराजमान रहते हैं। गुफा में शिवलिंग मौजूद है। जिस पर चट्टान से निकलने वाली जलधाराएं जलाभिषेक करती हैं। लेकिन शीतकाल में जब नीति घाटी के लोग अपने शीतकालीन गांवों में आ जाते हैं तो इस क्षेत्र में सेना के अलावा कोई भी नहीं रहता है।शीतकाल में बर्फबारी के बाद टिम्मरसैंण गुफा में बाबा बफार्नी आकार लेते हैं। बताया जाता है कि यहां पर तीन से अधिक बर्फ के शिवलिंग आकार लेते हैं। बर्फ के शिवलिंगों की आठ फीट से अधिक रहती है। गुफा में शीतकाल में भी बाबा बफार्नी पर प्राकृतिक रुप से जलाभिषेक होता रहता है।

मुख्य शिवलिंग को माना जाता है बाबा बफार्नी का स्वरूपटिम्मरसैंण गुफा में विराजमान एक मुख्य शिवलिंग को बाबा बफार्नी का स्वरूप माना जाता है। जबकि अन्य को बाबा बफार्नी का परिवार मानकर पूजा की जाती है। हालांकि नीति घाटी के लोग अप्रैल माह में जब अपने गीष्मकालीन गावों को लौटते हैं तो वे यहां पूजा अर्चना करते हैं। लेकिन अब प्रशासन ने बाबा बफार्नी की यात्रा को शुरू किए जाने की मंशा जताई है।

क्या कहते हैं स्थानीय
नीति घाटी प्राकृतिक खूबसूरती से भरपूर है। इस क्षेत्र में अप्रैल माह तक बर्फ का भी दीदार होता है। बाबा बफार्नी की यात्रा नीति घाटी में स्वरोजगार के लिए मील का पत्थर साबित होगा। यह वाइब्रेट विलेज के लोगों के लिए किसी सौगत से कम नहीं है। टिम्मरसैंण गुफा में बाबा बफानी के दर्शनों को पुण्य देश दुनिया के श्रद्धालु भी ले पाएंगे। – प्रकाश रावत, पूर्व प्रमुख ज्योर्तिमठ


