बजट 2025 के मुख्य बिंदुओं और आयकर के विभिन्न पहलुओं पर यू.पी.एस . के प्रो० अंकुर मित्तल ने दिया व्याख्यान

राज्य शिक्षा

श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के पंडित ललित मोहन शर्मा परिसर ऋषिकेश में वाणिज्य एवं प्रबंधन संकाय में “बजट 2025 के मुख्य बिंदुओं और आयकर के विभिन्न पहलुओं पर सेमिनार ” का आयोजन किया गया । कार्यक्रम का शुभारंभ विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो०एन०के०जोशी एवं कैंपस डायरेक्टर प्रो० महावीर सिंह रावत ने दीप प्रज्वलित करके किया। कुलपति महोदय ने विद्यार्थियों को स्किल एन हैंसमेंट के संबंध में जानकारी दी और कहा कि इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना सीख कर वे अपनी स्किल को बढ़ा सकते हैं एवं स्वयं के लिए रोजगार उत्पन्न कर सकते हैं। कैंपस डायरेक्टर प्रो० एम०एस० रावत ने विद्यार्थियों को बजट एवं इनकम टैक्स के संबंध में व्यवहारिक ज्ञान को बढ़ाने के लिए प्रेरित किया। वाणिज्य एवं प्रबंधन संकाय की संकायाध्यक्ष प्रो० कंचन लता सिन्हा ने सभी अतिथियों, की नोट स्पीकर एवं प्रतिभागियों का स्वागत एवं अभिनंदन किया तथा बजट 2025 -26 के मुख्य बिंदुओं और बदलावों पर विचार रखे।इस सेमिनार के की नोट स्पीकर प्रो०अंकुर मित्तल (स्कूल आफ बिजनेस यू ०पी०ई०एस० देहरादून) ने अपने व्याख्यान का आरंभ धर्म ,अर्थ ,काम,एवं मोक्ष के महत्व को बताते हुए किया तथा कार्यक्रम में उपस्थित सभी प्रतिभागियों एवं शोधार्थियों को केंद्रीय बजट 2025 की मुख्य बातें और आयकर के विभिन्न पहलुओं की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बजट 2025 में आयकर में परिवर्तन, संशोधित कर स्लैब, टीडीएस संशोधन, आईएफएससी प्रोत्साहन, अद्यतन रिटर्न दाखिल करने की सीमा और एनपीएस और बचत योजनाओं के तहत कटौती पर प्रकाश डाला गया है। नया आयकर विधेयक 2025, जो 1 अप्रैल, 2026 से प्रभावी होने वाला है, अधिक पारदर्शी और करदाता-अनुकूल वातावरण को बढ़ावा देगा, जो भारत के कर परिदृश्य में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित होगा।यह विधेयक भारत के कर कानून में एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतिनिधित्व करता है, जो 1961 के आयकर अधिनियम के सरलीकरण और आधुनिकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है।भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने वित्त वर्ष 26 के लिए केंद्रीय बजट की सराहना करते हुए कहा है कि इसमें राजकोषीय समेकन और विकास के उद्देश्यों को विवेकपूर्ण तरीके से प्रबंधित किया गया है। बजट में कृषि, छोटे व्यवसायों, निर्यात और निवेश पर ध्यान केंद्रित करने पर प्रकाश डाला गया है।बजट में वित्तीय अनुशासन के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि की गई है, साथ ही इसमें विकासशील भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप समावेशी, दीर्घकालिक आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया गया है। बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, नए आयकर विधेयक में कर नियमों और उसके प्रावधानों को सरल बनाने के लिए धाराओं की संख्या में 25-30% की कमी की जा सकती है। उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य छह दशक से भी अधिक पुराने आयकर अधिनियम के प्रावधानों को संक्षिप्त और समझने में आसान बनाकर सरल और तर्कसंगत बनाना है। इससे पृष्ठों की संख्या आधी हो जाने और अस्पष्टता कम करके कर निश्चितता लाने की उम्मीद है। करदाता कुछ प्रमुख दोहराव वाले मुद्दों पर अंतिम निर्णय के साथ

मुकदमेबाजी में कमी की उम्मीद कर सकते हैं ।इसका उद्देश्य व्यापार करने में आसानी बढ़ाना, व्याख्याओं में अस्पष्टता को कम करना, कर प्रशासन और अनुपालन में सुधार करना है। इससे भारत के कर-जीडीपी अनुपात को वैश्विक स्तर पर बढ़ाने और सतत आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी । इन बदलावों से व्यक्तियों और व्यवसायों दोनों के लिए कर नियम स्पष्ट हो गए हैं। कर नियमों और निवास आवश्यकताओं के सरलीकरण से पूरी प्रणाली अधिक पारदर्शी हो जाएगी। अन्य देशों के समान कर दरें निर्धारित करने से भारत निवेशकों के लिए अधिक आकर्षक बन सकता है। कार्यक्रम का समापन वाणिज्य एवं प्रबंधन संकाय के वरिष्ठ प्राध्यापक प्रो०वी०पी०श्रीवास्तव ने की नोट स्पीकर एवं सभी प्रतिभागियों का आभार व्यक्त करके किया और कहा कि भविष्य मे विद्यार्थियों को स्टार्टअप संबंधी प्रोग्राम से जोड़ने के लिए प्रयास किये जायेंगे ताकि वे स्वयं अपने लिए रोजगार उत्पन्न कर सकें।कार्यक्रम में प्रो०वी ०एन ०गुप्ता , प्रो०वी० के0 गुप्ता, प्रो० धर्मेंद्र कुमार , डॉ नीतिका अग्रवाल , डॉ रीता खत्री, डॉ गौरव रावत , डॉ उर्वशी , डॉ लता पांडे एवं वाणिज्य एवं प्रबंधन संकाय के सभी शोधार्थी उपस्थित रहे।

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