उत्तराखंड में नहीं थम रहा क्षेत्रवाद विवाद, सीएम के बयान पर एक बार फिर छिड़ा राजनीतिक घमासान

News Desk
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देहरादून: उत्तराखंड में लंबे समय से क्षेत्रवाद को लेकर सियासी घमासान मचा हुआ है. इसी क्षेत्रवाद के चलते मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल को अपने पद से इस्तीफा तक देना पड़ा. बावजूद इसके ये मामला अभी तक शांत होता दिखाई नहीं दे रहा है या फिर यूं कहें कि राजनीतिक दल इस मामले को शांत नहीं करना चाहते हैं. हाल ही में धामी सरकार के कार्यकाल को 3 साल पूरा होने पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जहां तमाम बड़ी घोषणाएं की तो वहीं क्षेत्रवाद और जातिवाद को लेकर भी एक बड़ा तंज भी कसा था. इसके बाद संभावना जताई जा रही थी कि जल्द ही यह उपजा विवाद शांत हो जाएगा, लेकिन यह भी बात लगातार चर्चाओं में बना हुआ है. क्योंकि, राजनीतिक पार्टियों की ओर से लगातार इस मामले पर बयानबाजी की जा रही है.प्रेमचंद अग्रवाल को अपने विवादित बयान से गंवानी पड़ी कुर्सी: बता दें कि विधानसभा बजट सत्र के दौरान 21 फरवरी को सदन के भीतर तात्कालिक संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने एक विवादित बयान दे दिया था. जिसके बाद से ही उत्तराखंड की राजनीति में क्षेत्रवाद को लेकर विवाद खड़ा हो गया. प्रदेश में बढ़ते मामले के बीच आखिरकार 16 मार्च को प्रेमचंद अग्रवाल को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा, लेकिन उससे पहले इस पूरे विवाद पर न सिर्फ बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने हवा दी, बल्कि विपक्षी नेताओं ने भी जमकर इस पूरे मुद्दे को भुनाने की कोशिश की. इसके बाद 23 मार्च को धामी सरकार के कार्यकाल को 3 साल पूरे होने पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने संबोधन के दौरान प्रदेश में चल रहे क्षेत्रवाद के विवाद पर बड़ी बात कह दी.दरअसल, 23 मार्च को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने कहा था कि ‘कुछ अराजक तत्व, कुछ ऐसे नेता जो बोलने में सावधानी नहीं रखते, उनके कारण कभी-कभी प्रदेश में क्षेत्रवाद या जातिवाद की बातें सुनाई देती हैं. ऐसे में उत्तराखंड का कोई भी व्यक्ति क्षेत्रवाद या जातिवाद की बात करता है तो वो न केवल उन आंदोलनकारियों के साथ अन्याय करता है, जिन्होंने इस प्रदेश के निर्माण के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया. बल्कि, वो अपनी मातृभूमि के खिलाफ भी कार्य करता है.’

सीएम धामी के बयान पर राजनीतिक चर्चाएं तेज: उत्तराखंड में जहां इन दिनों मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाएं जोरों-शोरों पर हैं तो वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की ओर से अराजक तत्वों और नेताओं को लेकर लेकर दिए गए बयान पर भी राजनीतिक चर्चाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं. विपक्ष हो या फिर सत्ता पक्ष दोनों के ही नेता लगातार प्रदेश में उपजे क्षेत्रवाद के मामले पर बयानबाजी करते दिखाई दे रहे हैं. राजनीतिक जानकारों की मानें तो बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां इस मुद्दे को जीवित रखना चाहती हैं.

सीएम धामी के बयान के समर्थन में क्या बोले बीजेपी विधायक? वहीं, मामले पर लैंसडाउन बीजेपी विधायक दिलीप रावत ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के बयान का समर्थन कर कांग्रेस पर कई गंभीर आरोप भी मढ़े हैं.मुख्यमंत्री को पूरा प्रदेश देखना है. क्योंकि, वो पूरे प्रदेश के मुखिया हैं. ऐसे में प्रदेश के भीतर शांति और सौहार्द बनाना उनकी ड्यूटी है, जिसके चलते सीएम ने बयान दिया था. आज कांग्रेस पहाड़ और मैदान वाली लड़ाई में कूद रखी है, ऐसे में वो पहले ये स्पष्ट करें कि वो किसके पक्ष में है. जिन लोगों ने उत्तराखंड के आंदोलन को कुचलने का काम किया, सेनानियों की छाती में गोली मारी, जिन्होंने उस समय सपा सरकार की दलाली की, वो आज कांग्रेस के बड़े नेता बने हुए हैं. ऐसे में एक बड़ा सवाल यही है कि क्या कांग्रेस उस विचारधारा को पोषित कर रही है? – दिलीप रावत, बीजेपी विधायक

समाज में बंटवारे की राजनीति कर रही बीजेपी: वहीं, कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता प्रतिमा सिंह ने बीजेपी पर तीखा हमला बोला है. उन्होंने बीजेपी पर समाज को बांटने वाली राजनीति करने का आरोप लगाया है.समाज को बांटने की राजनीति ही बीजेपी की राजनीति है.

बीजेपी जनता को कभी धर्म, कभी समुदाय, कभी जाति के नाम पर बांटती है. अब बीजेपी प्रदेश की जनता को मैदान और पहाड़ के नाम पर बांटने का काम कर रही है. जबकि, संविधान ये अधिकार देता है कि कोई भी व्यक्ति कहीं भी रह सकता है और अपनी आजीविका के लिए काम कर सकता है. -प्रतिमा सिंह, प्रदेश प्रवक्ता, कांग्रेस

ऐसे में बीजेपी की ओर से लगातार इस मुद्दे को कुरेदने के बाद भी बेरोजगार युवा सरकार के खिलाफ सड़कों पर संघर्ष कर रहे हैं. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जो कुछ कहा, अगर वो अपने नेताओं को बताते तो ये पॉजिटिव रिजल्ट की ओर ले जाता. बीजेपी में कुछ भी ठीक नहीं है. – प्रतिमा सिंह, प्रदेश प्रवक्ता, कांग्रेस

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