Uniform Civil Code उत्तराखंड सरकार द्वारा लागू की गई समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 22 अप्रैल को हाई कोर्ट में सुनवाई होगी। केंद्र सरकार यूसीसी को लेकर गंभीर है और बहस का नेतृत्व सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता करेंगे। याचिकाकर्ताओं की ओर से कपिल सिब्बल और रामचंद्रन बहस करेंगे। ज्ञात हो राज्य सरकार हाल ही में इस मामले में अपना जवाब दाखिल कर चुकी है।

- याचिकाकर्ताओं की ओर से कपिल सिब्बल संभालेंगे मोर्चा
- 22 अप्रैल को होनी है सुनवाई, सरकार दाखिल कर चुकी जवाब
नैनीताल। Uniform Civil Code: उत्तराखंड सरकार की ओर से लागू समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को चुनौती देती कई याचिकाओं पर 22 अप्रैल को हाई कोर्ट में सुनवाई होनी है। केंद्र की मोदी सरकार यूसीसी को लेकर बेहद गंभीर है। ऐसे में नैनीताल हाई कोर्ट में सरकार की ओर से बहस का नेतृत्व सालिसीटर जनरल तुषार मेहता करेंगे।
माना जा रहा है कि मेहता बहस के लिए नैनीताल भी आ सकते हैं, या वर्चुअल बहस का भी विकल्प है। वह पिछली सुनवाई के दौरान वर्चुअली बहस कर चुके हैं। उधर याचिकाकर्ताओं की ओर से भी देश के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल के साथ ही रामचंद्रन और अन्य बहस करेंगे।
राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद यह दूसरा मौका है जब हाई कोर्ट में कानूनी और राजनीतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण मामले पर बहस होगी। महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर ने सालिसीटर जनरल के बहस में शामिल होने की पुष्टि की है। ज्ञात हो राज्य सरकार हाल ही में इस मामले में अपना जवाब दाखिल कर चुकी है।
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डा. आंबेडकर भी थे यूसीसी के पक्ष में
सरकार की ओर से दाखिल जवाब में संविधान सभा में डा. बीआर आंबेडकर की ओर से दिए गए विचारों को भी शामिल किया गया है। डा. आंबेडकर ने कहा था कि देश में मानवीय संबंधों के लगभग हर पहलू को कवर करने वाली एक समान कानून संहिता है।पूरे देश में एक समान और पूर्ण आपराधिक संहिता है, जो दंड संहिता और आपराधिक प्रक्रिया संहिता में निहित है। संपत्ति के हस्तांतरण का कानून है, जो संपत्ति संबंधों से संबंधित है और जो पूरे देश में लागू है। फिर निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट है।सरकार के अनुसार डा. आंबेडकर ने कहा था ऐसे अनगिनत अधिनियमों का हवाला दे सकता हूं जो साबित करेंगे कि इस देश में व्यावहारिक रूप से एक सिविल कोड है, जो अपनी विषय-वस्तु में एक समान है और पूरे देश पर लागू होता है।


