
बिहार चुनाव से जुड़ी हमारी विशेष सीरीज ‘बात चुनाव की’ में आज इन्ही क्षेत्रीय दलों के दबदबे की बात करेंगे। आखिर बिहार में क्षेत्रीय दलों का दबदबा कहां से शुरू होता है? कांग्रेस का प्रभाव कैसे कमजोर हो गया? राजद और जदयू किस तरह बिहार के चुनावी पटल पर स्थापित हो गईं? 1990 से लेकर 2020 तक चुनावों में किस दल की क्या स्थिति रही?
बिहार में इस साल के अंत में चुनाव होने हैं। इसे लेकर जदयू से लेकर राजद और भाजपा से लेकर कांग्रेस तक ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। बिहार की इस सियासत में गठबंधन की राजनीति की बड़ी भूमिका रही है। यहां राष्ट्रीय के साथ क्षेत्रीय दलों की पैठ लंबे समय से है। आलम यह है कि बिहार में आखिरी बार किसी दल की अकेले दम पर सत्ता 1985 के चुनाव में आई थी। इसके बाद से हुए अगले आठ चुनावों में गठबंधन की ही सरकार बनी है। गठबंधन के इस दौर में क्षेत्रीय दलों का रसूख भी लगातार बढ़ा है।
1990: बिहार की सिसायत में लालू-नीतीश के जलवे की शुरुआत
1988 में कई दलों के विलय से जनता दल बना। 1990 के चुनाव में जनता दल 122 सीटें जीतकर सबसे बड़ा दल बना। भाजपा के समर्थन से सत्ता में आया और लालू प्रसाद यादव मुख्यमंत्री बने। पहली बार किसी गैर-कांग्रेसी मुख्यमंत्री ने अपना कार्यकाल पूरा किया। 1990 का चुनाव इस लिहाज से भी अहम रहा कि इनके बाद राज्य में एक कार्यकाल में कई मुख्यमंत्रियों का दौर खत्म हो गया। लालू 1995 तक बेरोकटोक सरकार चलाने में भी सफल रहे।
हालांकि, इसी दौर में राष्ट्रीय पार्टी के तौर पर जनता दल का कमजोर होना शुरू हुआ। 1994 में नीतीश कुमार, जॉर्ज फर्नांडिस जनता दल से अलग हुए और समता पार्टी बनाई। आरोप था कि लालू प्रसाद यादव बिहार में वोटबैंक की राजनीति कर रहे हैं।
1995: जनता दल की टूट के बावजूद मजबूत रहे लालू
- 1995 के चुनाव में भले ही नीतीश और लालू साथ नहीं थे, लेकिन दोनों की अलग-अलग पार्टियां अभी भी अस्तित्व में नहीं थीं। लालू ने जनता दल का नेतृत्व जारी रखा और 167 सीटों पर फिर जीत हासिल की। इस चुनाव में भाजपा को 41 सीट और कांग्रेस को 29 सीटें मिलीं। समता पार्टी को सात और झामुमो को 10 सीट मिलीं।
- लालू प्रसाद यादव एक बार फिर मुख्यमंत्री बने। हालांकि, 1997 आते-आते लालू पर चारा घोटाले के आरोप लगे और उन्हें बिहार के मुख्यमंत्री पद से हटना पड़ा। लालू ने अपनी पत्नी राबड़ी देवी के हाथ में सत्ता सौंप दी। इसी दौर में लालू ने अपना अलग राष्ट्रीय जनता दल (राजद) बनाया। इसके बाद बिहार की सियासत में क्षेत्रीय दलों का दबदबा कायम है।


