पीएम से बात कर बेटे को खो चुकी कामेश्वरी देवी नहीं रोक पाई आंसू, दुख देख भर गई हर आंख

News Desk
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उत्तरकाशी आपदा में बेटे को खोने वाली कामेश्वरी देवी की व्यथा सुनकर प्रधानमंत्री मोदी भावुक हो गए। बागेश्वर में आपदा ने जोशी परिवार को तबाह कर दिया जहाँ महेश ने अपनी माँ और भाई को खो दिया। प्रधानमंत्री ने पीड़ित परिवारों को हर संभव मदद का आश्वासन दिया और कहा कि सरकार उनके साथ है।

उत्तरकाशी आपदा में बेटे को खोने वाली कामेश्वरी देवी की व्यथा सुनकर प्रधानमंत्री मोदी भावुक हो गए। बागेश्वर में आपदा ने जोशी परिवार को तबाह कर दिया जहाँ महेश ने अपनी माँ और भाई को खो दिया। प्रधानमंत्री ने पीड़ित परिवारों को हर संभव मदद का आश्वासन दिया और कहा कि सरकार उनके साथ है।

  1. पीएम मोदी ने आपदा पीड़ितों को बंधाया ढाढ़स
  2. बागेश्वर में आपदा से परिवार तबाह
  3. जोशी परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़

देहरादून। उत्तरकाशी के धराली में पांच अगस्त को खीरगंगा के प्रचंड रूप ने कई परिवारों को उजाड़ दिया। इन्हीं में से एक हैं कामेश्वरी देवी, जिनका 25 वर्षीय बेटा आकाश इस आपदा में काल के गाल में समा गया।  गुरुवार को जब देहरादून एयरपोर्ट पर कामेश्वरी देवी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अपने सामने पाया तो उनके आंसू रुक न सके। बेटे को खोने का दर्द शब्दों में बयां करना उनके लिए संभव नहीं था।

गमगीन मां की आंखों से बहते आंसू देखकर महिला मंगल दल की सदस्य सुनीता ने उन्हें सहारा दिया और ढाढस बंधाया। आंसू पोंछते हुए कामेश्वरी देवी ने प्रधानमंत्री को पांच अगस्त की आपदा के बारे में बताया। उनकी व्यथा सुनकर उपस्थित हर शख्स भावुक हो उठा। प्रधानमंत्री ने धैर्यपूर्वक उनकी पीड़ा सुनी और आश्वासन दिया कि आपदा पीड़ित परिवारों को अकेला नहीं छोड़ा जाएगा और केंद्र और राज्य सरकार हर संभव मदद करेगी।

यह कभी न भूले जाने वाला दर्द

देहरादून : बागेश्वर जनपद के कपकोट तहसील के पौसारी तोक साईजर गांव में आई आपदा ने जोशी परिवार को ऐसा जख्म दिया है, जो कभी भरा नहीं जा सकेगा। महज कुछ ही पलों में परिवार के पांच लोग मौत के आगोश में समा गए। 28 वर्षीय महेश चंद्र जोशी के सिर से मां का साया और बड़े भाई का सहारा छिन गया। आपदा की रात महेश की 75 वर्षीय मां बचुली देवी और बड़े भाई पूरन चंद्र जोशी उफनते नाले में समा गए।

मां का शव तो गांव के समीप गदेरे से बरामद हो गया, परंतु भाई का शव हादसे के 14 दिन बाद भी अब तक नहीं मिल पाया है। यही इंतजार आज भी महेश की आंखों में पीड़ा बनकर तैरता है। महेश बताते हैं कि इस भीषण त्रासदी ने सिर्फ उनकी मां और भाई ही नहीं छीने, बल्कि उनके चाचा रमेश चंद्र, चाची बसंती देवी और नौ वर्षीय चचेरे भाई गिरीश को भी लील लिया।

चंद मिनटों की आफत ने पूरे परिवार को तबाह कर दिया। महेश, जो चंडीगढ़ में होटल में काम करते हैं, बताते हैं कि 29 अगस्त की सुबह उन्हें यह मनहूस खबर मिली। कहते हैं, ‘मां और भाई का खोना ऐसा दर्द है, जिसे शब्दों में नहीं कह सकता। यह जख्म जीवनभर मेरे दिल में ताजा रहेगा। ’

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से देहरादून एयरपोर्ट पर आपदा प्रभावितों की मुलाकात में महेश भी शामिल रहे। वहां उन्होंने अपनी व्यथा सुनाई, पर भीतर का दर्द आंसुओं से छलक पड़ा। गांव का हर घर इस आपदा से आहत है, लेकिन जोशी परिवार की त्रासदी गांव की सबसे बड़ी टीस बन गई है।

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