Herbal Mission in Uttarakhand उत्तराखंड में एक दौर में वन-जन के बीच गहरा रिश्ता था। वनों का संरक्षण करने के साथ ही लोग उनसे जरूरतें भी पूरी किया करते थे। राज्य की वन पंचायतों में 628 करोड़ रुपये की लागत के हर्बल मिशन को लेकर सरकार गंभीर हो गई है। इसी कड़ी में वनों को आजीविका से जोडऩे की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं।

- 628 करोड़ रुपये की लागत के हर्बल मिशन को लेकर सरकार गंभीर
- वन पंचायतों की भूमि में हो सकेगी जडी-बूटी व सगंध पादपों की खेती
- अधिनियम और नियमावली में संशोधन को कैबिनेट में आएगा प्रस्ताव
देहरादून: Herbal Mission in Uttarakhand: वन और जन के रिश्तों को प्रगाढ़ बनाने के उद्देश्य से राज्य की वन पंचायतों में 628 करोड़ रुपये की लागत के हर्बल मिशन को लेकर सरकार गंभीर हो गई है। नए वित्तीय वर्ष से इसे प्रारंभ करने की तैयारी है।
इसके अंतर्गत वन पंचायतों की भूमि में जड़ी-बूटी और सगंध पादपों की खेती की जाएगी। इसके लिए वन पंचायत अधिनियम और नियमावली में संशोधन किए जाने हैं। इस सिलसिले में गठित कमेटी अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप चुकी है और कैबिनेट की आगामी बैठक में प्रस्ताव रखा जाएगा।
वन-जन के बीच था गहरा रिश्ता
उत्तराखंड में एक दौर में वन-जन के बीच गहरा रिश्ता था। वनों का संरक्षण करने के साथ ही लोग उनसे जरूरतें भी पूरी किया करते थे। वर्ष 1980 में वन अधिनियम लागू होने के पश्चात वन-जन के रिश्ते में खटास आने लगी। वनों के सरकारी होने के भाव और हक-हकूक सिमटने से यह खाई और बढ़ती चली गई। यद्यपि, जन के बीच वनों का संरक्षण प्राथमिकता में है, लेकिन इसमें पहले जैसी बात नहीं रही।
लंबी प्रतीक्षा के बाद सरकार ने भी इसे महसूस किया है। इसी कड़ी में वनों को आजीविका से जोडऩे की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं, ताकि जन को यह भरोसा दिलाया जा सके कि जंगल सरकारी नहीं बल्कि उनके अपने हैं। इसी मंशा से वन पंचायतों में हर्बल मिशन का खाका खींचा गया। इसमें पहली बार वन पंचायतों की भूमि पर जड़ी-बूटी व सगंध पादपों की खेती का निर्णय लिया गया। प्रदेश में वन पंचायतों की संख्या 11267 है। प्रथम चरण में इसमें 500 वन पंचायतें ली जाएंंगी।
वन पंचायत अधिनियम और नियमावली में संशोधन जरूरी
हर्बल मिशन के लिए वन पंचायत अधिनियम और नियमावली में संशोधन जरूरी है। इसके तहत वन पंचायतों में जड़ी-बूटी व सगंध पादपों के कृषिकरण, उत्पादों की निकासी के लिए अधिकार, प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना से संबंधित प्रविधान किए जाने हैं।
इसे लेकर पूर्व कैबिनेट में प्रस्ताव गया था, लेकिन इसमें कुछ विसंगतियां थीं। इसे दूर करने को तीन सदस्यीय समिति गठित की गई, जो अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप चुकी है। अब इसके आधार पर वन पंचायत अधिनियम व नियमावली में संशोधन का प्रस्ताव कैबिनेट में आना है। कैबिनेट की मंजूरी के बाद नए वित्तीय वर्ष में मिशन धरातल पर मूर्त रूप लेगा।
वन पंचायतोंं में हर्बल मिशन के अंतर्गत कृषिकरण की अनुमति देने के लिए वन पंचायत अधिनियम व नियमावली में संशोधन की प्रक्रिया गतिमान है। नए वित्तीय वर्ष में यह मिशन प्रारंभ कर दिया जाएगा। इसके पीछे मंशा आमजन के लिए वनों से आजीविका के अवसर और वनों की सुरक्षा से जोडऩे की है। -सुबोध उनियाल, वन मंत्री