
देश के 15 राज्यों और 40 विश्वविद्यालयों में फर्जी डिग्री और मार्कशीट बनाने का नेटवर्क फैला था। एसटीएफ ने सरगना धनेश मिश्रा को गिरफ्तार किया जो एजेंटों के जरिए युवाओं को जोड़ता था। कमीशन के तौर पर एजेंट को 5000 रुपये मिलते थे। पूछताछ में कई विश्वविद्यालयों की फ्रेंचाइजी लेने और फर्जी मार्कशीट जारी करने की बात सामने आई। पुलिस ने मामले की विस्तृत जांच शुरू कर दी है।

- आगरा सहित आसपास के जिले से युवाओं को लाने के लिए लगे थे एजेंट
- छात्रों के शपथ पत्र व आरोपित के नाम के लिफाफे भी हुए बरामद
आगरा। फर्जी डिग्री और मार्कशीट बनाने का नेटवर्क देश के 15 राज्यों के 40 विश्वविद्यालयों में फैला था। विश्वविद्यालयों के बाबुओं और एजेंसियों की मिलीभगत से कमीशन के दम पर पूरा खेल चलता था। युवाओं को लाने के लिए आगरा सहित आसपास के जिलों में एजेंट सक्रिय थे। एजेंटों को प्रति छात्र पांच हजार रुपये कमीशन दिया जाता था। एसटीएफ ने छात्रों के शपथ पत्र और आरोपित के नाम के लिफाफे भी बरामद किए हैं।
आरोपित धनेश मिश्रा एलएलबी पास है। वह वकील बनना चाहता था। कुछ लोगों से मुलाकात हुई तो वह फर्जी डिग्री और मार्कशीट बनाने के धंधे में उतर गया। दुकान की आड़ में आलीशान आफिस बनाया। काम करने के लिए स्टाफ को भी बिठाया।
धीरे-धीरे धनेश ने अपना नेटवर्क देश के 15 राज्यों और 40 विश्वविद्यालयों तक फैला लिया। बाबुओं और एजेंसियों से गठजोड़ कर फर्जी डिग्री हासिल करने लगा। युवाओं की तलाश के लिए एजेंटों का जाल बिछाया। आगरा सहित आसपास के जनपदों में सक्रिय एजेंट ही युवाओं को लेकर आते थे।

इसके बदले में एजेंट को पांच हजार रुपये का कमीशन मिलता था। देखते ही देखते धनेश मिश्रा का अवैध कारोबार फैलता चला गया। आरोपित ने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हिमाचल, सिक्किम, बिहार, मेघालय, नई दिल्ली, उत्तराखंड, झारखंड, अरुणाचल प्रदेश, तमिलनाडु आदि राज्यों में नेटवर्क होने की बात स्वीकार की।
कार्रवाई से बचने के लिए धनेश ने चार विश्वविद्यालयों की एडमिशन कोड फ्रेंचाइजी ले ली। आरोपित ने पुलिस पूछताछ में बताया कि शुभारती यूनिवर्सिटी मेरठ, मंगलायतन यूनिवर्सिटी अलीगढ़, सिक्किम ओपन बोर्ड, सुरेश ज्ञान विहारी यूनीवर्सिटी जयपुर की फ्रेंचाइजी होने की बात स्वीकार की।
अग्रवन हेरिटेज यूनीवर्सिटी की मिलीं फीस रसीदें
एसटीएफ की टीम को अग्रवन हेरिटेज यूनीवर्सिटी आगरा के नाम से आठ छात्रों की फीस रसीदें भी मिली हैं। एसटीएफ इन छात्रों के बारे में जानकारी जुटा रही है। वहीं शुभम बंसल के नाम से डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा का बीकाम का अंकपत्र मिला है। पुलिस इसकी भी जांच कर रही है।इसी दुकान में चल रहा था डिग्री बनाने का धंधा।
वर्ष 2023 में नाम आया था सामने
आरोपित धनेश मिश्रा पिछले पांच साल से यह काम कर रहा था। पुलिस ने उसकी पहली बार गिरफ्तारी की है। इससे पहले वर्ष 2023 में ताजगंज क्षेत्र में पकड़े गए फर्जी डिग्री बनाने वाले गिरोह के साथ उसका नाम सामने आया था। पुलिस ने सरगना नेकराम सहित चार लोगों को जेल भेजा था। उस समय धनेश बच गया था।
सीबीएसई और यूपी बोर्ड की भी मिलीं मार्कशीट
एसटीएफ टीम ने जो मार्कशीट बरामद की हैं उनमें सीबीएसई और यूपी बोर्ड की मार्कशीट भी शामिल हैं। इंस्पेक्टर हुकुम सिंह ने बताया कि रिषी शर्मा और पारुल चतुर्वेदी के नाम की यूपी बोर्ड की मार्कशीट मिली हैं। इन पर दर्ज रोल नंबर के आधार पर इनका सत्यापन कराया जाएगा। इसके साथ ही सीबीएसई की दो मार्कशीट मिली हैं।
मेल करते ही आ गई मार्कशीट
एसटीएफ को लैपटाप की जांच में कई अहम सुराग मिले हैं। एक मेल मिला है जिसे 26 जुलाई को एक विश्वविद्यालय को किया गया है। मेल करने के 12 दिन बाद यानी 7 अगस्त को संंबंधित छात्र की मार्कशीट आ गई। पुलिस इसकी भी जांच कर रही है।
कर्मचारियों को पूछताछ के बाद छोड़ा
एसटीएफ ने कार्रवाई के दौरान सरगना धनेश मिश्रा के अलावा वहां काम कर रहीं तीन युवतियों को भी हिरासत में लिया था। पूछताछ के बाद इन युवतियों को छोड़ दिया गया। एसटीएफ ने इनसे जांच में सहयोग करने की बात कही है।