चढ़ने लगा पारा, धधकने लगे जंगल; बढ़ी वन विभाग की चिंता

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Uttarakhand Forest Fire उत्तराखंड में गर्मी के साथ ही जंगल में आग लगने की घटनाएं बढ़ गई हैं। गुरुवार को फतेहपुर से गुमखाल के बीच जंगल में जगह-जगह आग लगी हुई थी। धुएं के कारण राष्ट्रीय राजमार्ग से गुजरने वाले दोपहिया वाहनों को परेशानियों का सामना करना पड़ा। वहीं डाडामंडी से लगे जंगल में भी पिछले कुछ दिनों से आग लगी हुई है।

  1. मार्च के अंतिम सप्ताह के साथ ही गर्मी का पारा भी लगातार चढ़ने लगा
  2. बारिश कम होने के कारण दावालन की घटनाओं में बढ़ोत्तरी होनी तय

कोटद्वार। Uttarakhand Forest Fire: मार्च के अंतिम सप्ताह के साथ ही गर्मी का पारा भी लगातार चढ़ने लगा है। पारा चढ़ने के साथ ही क्षेत्र में जंगल भी धधकने लगे हैं। माना जा रहा है कि इस मर्तबा बारिश कम होने के कारण दावालन की घटनाओं में बढ़ोत्तरी होनी तय है।

गुरुवार को फतेहपुर से गुमखाल के मध्य जंगल में जगह-जगह आग लगी हुई थी। धुएं के कारण राष्ट्रीय से गुजरने वाले दोपहिया वाहनों को परेशानियों का सामना करना पड़ा। वहीं, डाडामंडी से लगे जंगल में भी पिछले कुछ दिनों से धधक रहे हैं।

कोटद्वार में गुरुवार को अधिकतम 36 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 18 डिगी सेल्सियस दर्ज किया गया। मैदान में बढ़ रहे पारे का असर आसपास के पर्वतीय क्षेत्रों में भी देखने को मिला। कोटद्वार से करीब बीस किलोमीटर आगे फतेहपुर से गुमखाल के मध्य राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे जंगलों में आग लगी हुई थी।

जंगलों ने बढ़ा दी चिंता

अभी से धधक रहे जंगलों ने बढ़ा दी चिंता

चीड़ के सूखे पत्तों में लगी आग तेज से बढ़ रही थी। ऐसे में लगातार उठ रहे धुएं के कारण दोपहिया वाहन चालकों को परेशानियों का सामना करना पड़ा। कई स्थानों पर धुएं के कारण आगे से आ रहे वाहन तक नहीं दिखाई दे रहे थे।, डाडामंडी क्षेत्र के आसपास भी जंगल में आग लगी हुई थी। रात तक जंगल धधकते हुए नजर आए। अभी से धधक रहे जंगलों ने वन विभाग की चिंता भी बढ़ा दी है। हालांकि वन विभाग का दावा है कि उन्होंने आग से जंगलों की सुरक्षा के लिए पूरी तैयार कर ली है।

अधजले पेड़ बने खतरा

फतेहपुर-गुमखाल के मध्य आग के कारण कई पेड़ जल गए। ऐसे में सड़क किनारे अधजले पेड़ कब धराशायी होकर राहगिरों के लिए मुसीबत बन जाएं कुछ कहा नहीं जा सकता। कई स्थानों पर जंगल में पेड़ जलकर गिरे हुए भी हैं। ऐसे में वन विभाग को अधजले पेड़ों से सुरक्षा के लिए गंभीरता से कार्य करना चाहिए।

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