सुप्रीम कोर्ट का UGC और NAAC को नोटिस, इस मुद्दे पर शिक्षा मंत्रालय से मांगा जवाब

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सुप्रीम कोर्ट ने हायर एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस के राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद द्वारा निष्पक्ष एवं पारदर्शी ग्रेडिंग सुनिश्चित करने के लिए उपाय तलाशने की मांग संबंधी पिटीशन पर केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और अन्य पक्षों से जवाब मांगा है।

देश के सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च शिक्षा संस्थानों के राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद द्वारा निष्पक्ष एवं पारदर्शी ग्रेडिंग सुनिश्चित करने के उपायों की मांग करने वाली याचिका पर केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय एवं अन्य पक्षों से जवाब मांगा है। अदालत ने इस संबंध में यूजीसी और NAAC को नोटिस जारी किया है। जज पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने NGO बिस्ट्रो डेस्टिनो फाउंडेशन की याचिका पर मंत्रालय, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) और NAAC को नोटिस जारी किया है।

क्या करता है NAAC

1994 में स्थापित NAAC, UGC के तहत एक स्वायत्त निकाय है जो पाठ्यक्रम, संकाय, बुनियादी ढांचे, अनुसंधान और वित्तीय कल्याण जैसे मापदंडों पर कॉलेजों और यूनिवर्सिटीज को ग्रेड देता है। कोर्ट ने 9 अप्रैल के अपने आदेश में कहा था, “हम मामले की गहराई में जाना चाहते हैं और जानना चाहते हैं कि NAAC कैसे काम कर रहा है।” निष्पक्षता और ट्रांसपेरेंसी को लेकर चिंताएं पिटीशन में NAAC द्वारा संचालित हायर एजुकेशनल इंस्टीटयूशंस के मूल्यांकन और ग्रेडिंग के प्रोसेस में पारदर्शिता और निष्पक्षता को लेकर चिंता जताई गई है। याचिका में कहा गया है कि NAAC द्वारा अपनाई गई मौजूदा कार्यप्रणाली के तहत निष्पक्षता और ट्रांसपेरेंसी को लेकर चिंताएं हैं। याचिका में करप्शन के मामले में NAAC ऑफिसर्स के खिलाफ 1 फरवरी को केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा दर्ज किए गए मामले का हवाला दिया गया है और कहा गया है कि यह मान्यता प्रक्रिया की प्रभावशीलता पर परेशान करने वाले सवाल उठाता है।बता दें कि हाल ही में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानी UGC ने फॉरेन इंस्टीट्यूशंस से प्राप्त शैक्षणिक योग्यता को मान्यता देने और समकक्षता प्रदान करने की प्रक्रिया को कारगर बनाने के लिए नए नियमों का ऐलान किया था।

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