
उत्तर प्रदेश के हापुड़ स्थित मोनाड विश्वविद्यालय में फर्जी डिग्री रैकेट का खुलासा हुआ है. STF ने चेयरपर्सन विजेंद्र सिंह हुड्डा समेत 10 लोगों को गिरफ्तार किया है.
UP में फर्जी डिग्री रैकेट का खुलासा हुआ.STF ने चेयरपर्सन समेत 10 लोगों को गिरफ्तार किया.फर्जी डिग्रियों के आधार पर 228 लोग सरकारी नौकरियों में हैं.
उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले में स्थित मोनाड विश्वविद्यालय एक बार फिर सुर्खियों में है, लेकिन इस बार वजह बेहद शर्मनाक है. उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (STF)ने इस विश्वविद्यालय में फर्जी डिग्री और मार्कशीट के विशाल रैकेट का पर्दाफाश किया है. जांच में सामने आया है कि पिछले चार वर्षों में इस विश्वविद्यालय ने एक लाख से अधिक फर्जी डिग्रियां बांटी हैं. यह न केवल शिक्षा व्यवस्था पर एक बड़ा धब्बा है, बल्कि हजारों छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ भी है. इस घोटाले ने नौकरीपेशा लोगों और छात्रों में हड़कंप मचा दिया है, क्योंकि ऐसी डिग्रियों के आधार पर कई लोग सरकारी और निजी क्षेत्रों में नौकरियां कर रहे हैं.
2024 में मेरठ पुलिस ने तीन लोगों के बैग से 140 फर्जी दस्तावेज बरामद किए,जिनमें मोनाड विश्वविद्यालय की आठ मार्कशीट शामिल थीं. इसके बाद से ही STF की जांच शुरू हुई,जिसने इस घोटाले की परतें उधेड़ दीं. STF की छापेमारी में 1,372 फर्जी मार्कशीट,डिग्रियां और 262 फर्जी प्रोविजनल व माइग्रेशन सर्टिफिकेट बरामद हुए. ये डिग्रियां बीए,बीएड,बीफार्मा,बीसीए,बीटेक और एलएलबी जैसे कोर्स की थीं,जिन्हें 50,000 से लेकर 4 लाख रुपये तक में बेचा जा रहा था.कौन कौन हुआ अरेस्ट?STF ने विश्वविद्यालय के चेयरपर्सन विजेंद्र सिंह हुड्डा,प्रो. चांसलर नितिन कुमार सिंह और आठ अन्य कर्मचारियों को गिरफ्तार किया है. विजेंद्र सिंह पहले से ही कुख्यात बाइक बोट घोटाले के मुख्य आरोपी हैं,जिसके लिए वह 5 लाख रुपये का इनामी रह चुका है.जांच में पता चला कि विजेंद्र ने अपनी अवैध कमाई को 20 से अधिक कंपनियों में निवेश किया था और अब STF इन सभी खातों को फ्रीज करने की प्रक्रिया में है.STF ने यह भी खुलासा किया कि फर्जी डिग्रियों के आधार पर 228 लोग सरकारी नौकरियों में कार्यरत हैं.अब इनकी नौकरियां खतरे में हैं. साथ ही मेरठ के एक अन्य निजी कॉलेज,SVS कॉलेज के सर्वर की भी जांच की जा रही है जो इस रैकेट से जुड़ा हो सकता है.
बिजनौर के देहरादून रोड पर चंदक में एक कॉलेज है। कुछ समय पहले मेरठ के एक प्राइवेट विवि ने इसे खरीदा है। बुधवार को दूसरी पाली में एग्जाम कराने के बाद छात्रों की कापी एक गाड़ी में भरकर विवि ले जा रहे थे। एसटीएफ ने छापा मारकर सभी एग्जाम कापी कब्जे में ले ली थी। इस मामले में एसटीएफ ने विवि के परीक्षा प्रभारी समेत दो को हिरासत में लेकर पूछताछ की थी। एएसपी एसटीएफ बृजेश सिंह ने बताया कि जांच में जो साक्ष्य विवि से मांगे गए, वह उन्होंने मुहैया करा दिए।
इस प्रकार का खुले आम शिक्षा का व्यापार हो रहा है इसके लिए यूजीसी को सख्त होना पड़ेगा नहीं तो शिक्षा के व्यापारी इसका नाश कर देंगे



