
16 अप्रैल 1853 को देश में संचालित हुई थी पहली रेल
लोकजन एक्सप्रेस ऋषिकेश। केंद्रीय रेल मंत्री ने देवप्रयाग और जानसू के बीच बन रही जानसू टनल का ब्रेकथ्रू किया। इस दौरान उन्होंने रेलवे अधिकारियों को उचित दिशा निर्देश भी दिए।
देवप्रयाग और जनासू के बीच ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे परियोजना के अंतर्गत बन रही सबसे लंबी 14.57 किमी की टी-8 और टी-8एम डबल ट्यूब सुरंगों का ब्रेकथ्रू सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है। इस ऐतिहासिक अवसर पर केंद्रीय रेल मंत्री अिनी वैष्णव और प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जनासू रेलवे स्टेशन पहुंचकर सुरंग निर्माण कार्य का निरीक्षण किया।
4.57 किलोमीटर लंबी इन सुरंगों का निर्माण अत्याधुनिक टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) की मदद से किया गया है। इसके अलावा जनासू से लगभग 1.5 किलोमीटर दूर एक र्वटकिल शाफ्ट (कुआंनुमा सुरंग) भी बनाई गई है, जिससे खुदाई और निर्माण कार्य में सहायता मिल सके।
इस मौके पर रेल मंत्री अिनी वैष्णव ने कहा कि यह परियोजना उत्तराखंड के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, जो पहाड़ी क्षेत्रों में रेल कनेक्टिविटी को मजबूत करेगी। उन्होंने कहा कि इस तरह की आधुनिक तकनीक से सुरंग निर्माण भविष्य की परियोजनाओं के लिए मिसाल बनेगा।
बताया कि आज का दिन इसलिए भी ऐतिहासिक है क्यूंकि आज ही के दिन भारत में 1853 को पहली रेल बोरीबंदर से ठाणो के बीच चली थी और आज ही भारत की सबसे लम्बी ट्रांसपोर्टेशन टनल जानसू टनल का ब्रेकथ्रू भी हुआ है।
इस अवसर पर प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पहाड़ पर रेल लाने का जो सपना था, वह अब साकार होता नजर आ रहा है। उन्होंने कहा कि आने वाले कुछ महीनों में यह सुरंग पूरी तरह से तैयार हो जाएगी। मुख्यमंत्री ने सुरंग निर्माण में लगे सभी इंजीनियरों, तकनीकी विशेषज्ञों और श्रमिकों को इस ब्रेकथ्रू के लिए शुभकामनाएं दीं।


